गांधीनगर। दुष्कर्म मामले में गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। आसाराम बापू द्वारा महिला शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के मामले में गांधीनगर की अदालत ने कल सुनवाई पूरी कर ली थी। अभियोजन पक्ष ने अपनी दलीलों में आरोपी आसाराम बापू को उम्रकैद देने की मांग की थी। साथ ही कहा कि आरोपी आदतन अपराधी है और उस पर भारी जुर्माना भी लगाने की मांग की थी। बता दें कि आसाराम बापू फिलहाल जोधपुर जेल में बंद है, जहां वह एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने साल 2013 में एक महिला से दुष्कर्म के मामले में आसाराम बापू को दोषी ठहराया है। आरोप है कि आसाराम बापू ने साल 2001 से 2006 के बीच महिला शिष्या के आश्रम में रहने के दौरान उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया था। अभियोजक कोदेकर ने कहा कि आसाराम ने जो अपराध किया है, उसमें उम्रकैद या फिर 10 साल की सजा का प्रावधान है लेकिन हमने मांग की है कि आसाराम ऐसे ही एक अन्य मामले में जेल में सजा काट रहा है और आदतन अपराधी है। ऐसे में अभियोजक ने आसाराम को सख्त सजा देने और भारी जुर्माना भी लगाने की मांग की थी। साथ ही पीड़िता को मुआवजे भी देने की अपील की गई थी।
गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ सोमवार को सुनवाई पूरी कर ली और आईपीसी की धारा 376 , 377, 342, 354, 357 और 506 के तहत दोषी पाया था। कोर्ट ने महिला से दुष्कर्म के मामले में छह अन्य आरोपियों, जिनमें आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उनकी बेटी और चार अन्य शिष्यों को बरी कर दिया है।
इस केस में आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य आरोपी थे। कोर्ट ने आसाराम को दोषी माना। आरोपियों में से एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। कोर्ट ने बाकी पांच आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
2013 में केस दर्ज हुआ था करीब 10 साल पहले आसाराम पर सूरत की एक महिला ने अहमदाबाद के मोटेरा स्थित उसके आश्रम में बार-बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इस मामले में अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में FIR दर्ज हुई थी। FIR के मुताबिक, महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में कई 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म किया गया था। महिला तब आसाराम के आश्रम में रह रही थी।मामले में पुलिस ने जुलाई 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी।
गांधीनगर सेशन कोर्ट जहां आसाराम को सजा सुनाई गई।
पीड़ित महिला की छोटी बहन ने आसाराम के बेटे पर लगाया था रेप का केस
दो बहनों में से छोटी ने आसाराम के बेटे नारायण साईं और बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। बड़ी बहन की शिकायत गांधीनगर ट्रांसफर होने के कारण आसाराम पर गांधीनगर में मुकदमा चला, जिसमें सोमवार को कोर्ट ने आसाराम को दोषी करार दिया था। सरकारी वकील आरसी कोडेकर और सुनील पंड्या ने यह जानकारी दी।
गांधीनगर सेशन कोर्ट परिसर में जानकारी देते सरकारी वकील आरसी कोडेकर।
आसाराम का आदमी महिला को आश्रम ले गया था
पीड़ित महिला की शिकायत में कहा गया था कि आसाराम ने उसे गुरुपूर्णिमा आने पर स्पीकर के रूप में चुने जाने के लिए कहा था और बाद में स्पीकर के रूप में चुना। इसके बाद आसाराम के फार्म हाउस शांतिवाटिका में बुलाया गया। आश्रम का ही एक अन्य व्यक्ति उसे आसाराम के फार्म हाउस ले गया। वहां आसाराम ने हाथ-पैर धोकर उसे कमरे के अंदर बुलाया और बाद में एक कटोरी घी मंगवाकर उसके सिर की मालिश की।
मालिश करने के दौरान आसाराम ने पीड़ित महिला के साथ जबरदस्ती शुरू कर दी। आसाराम ने कहा- जितना जल्द समर्पण करोगी उतना आगे बढ़ोगी। जिस पर महिला ने वहां से भागने की कोशिश की। दुष्कर्म करने के बाद उसने अननेचुरल सेक्स भी किया। इसके बाद धमकी देकर वहां से चले जाने को कहा।
गवाहों पर लगातार होते रहे जानलेवा हमले
28 फरवरी, 2014 को सूरत की दो पीड़ित बहनों में से एक के पति पर घातक हमला किया गया था। इसके 15 दिन बाद आसाराम के वीडियोग्राफर राकेश पटेल पर भी जानलेवा हमला किया गया। हमले के कुछ दिनों बाद सूरत के एक कपड़ा बाजार में गवाह दिनेश भगनानी पर तेजाब फेंक दिया गया। ये तीनों गवाह उन हमले में बच गए थे। 23 मार्च 2014 को एक गवाह अमृत प्रजापति को गोली मार दी गई। 17 दिनों के इलाज के बाद अमृत की मौत हो गई थी।
आसाराम का अहमदाबाद स्थित मोटेरा आश्रम।
एक गवाह पर कोर्ट में ही हुआ हमला
जनवरी 2015 में एक अन्य गवाह अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एक महीने बाद, आसाराम के निजी सहायक के रूप में काम करने वाले राहुल सचान पर हमला किया गया। जोधपुर कोर्ट में गवाही देने पहुंचे राहुल पर कोर्ट परिसर में जानलेवा हमला किया गया। राहुल सचान हमले में बच गए, लेकिन 25 नवंबर 2015 को लापता हो गए और तब से उनका कोई पता नहीं चला है।
गवाहों पर हमलों का सिलसिला जारी रहा और 13 मई 2015 को पानीपत में महेंद्र चावला पर हमला किया गया। हालांकि, हमले में महेंद्र की जान बच गई थी। इसके तीन महीने बाद एक अन्य गवाह 35 वर्षीय कृपाल सिंह की जोधपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कृपाल सिंह ने जोधपुर कोर्ट में पीड़िता के पक्ष में गवाही दी थी।
गिरफ्तारी के दौरान आसाराम के पास करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति बताई गई थी।
आशुमल की जगह नाम रखा आसाराम
असली नाम आशुमल हरपलानी है। उसका जन्म अप्रैल 1941 में सिंध, पाकिस्तान के बेरानी गांव में हुआ था। 1947 के विभाजन के बाद परिवार अहमदाबाद में बस गया था। 1960 के दशक में आसाराम ने लीलाशाह को अपना गुरु बनाया था। आसाराम ने दावा किया कि गुरु ने उसे आसुमल की जगह आसाराम नाम दिया है। 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से दस किलोमीटर दूर मोटेरा गांव के पास साबरमती नदी के किनारे अपनी छोटी सी झोपड़ी बनाई। आसाराम के भक्तों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी और गुजरात के कई शहरों और देश के विभिन्न राज्यों में भी उसके आश्रम खुलने लगे।
दो-तीन दशक में आश्रमों का साम्राज्य खड़ा कर दिया
शुरुआत में आसाराम ने अपने ‘व्याख्यान, देशी औषधि और भजन-कीर्तन’ से गुजरात के गांवों के गरीब, पिछड़े और आदिवासी लोगों को आकर्षित किया। बाद में धीरे-धीरे इसका प्रभाव गुजरात के शहरी क्षेत्रों के मध्यम वर्ग में भी बढ़ने लगा। शुरुआती वर्षों में आसाराम के व्याख्यानों के बाद प्रसाद के नाम पर मुफ्त भोजन दिया जाता था। दो-तीन दशकों में आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने मिलकर देश-विदेश में 400 आश्रमों का साम्राज्य खड़ा कर लिया था।
जैसे-जैसे आश्रमों और अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई, आसाराम की संपत्ति बढ़ने लगी। उनके पास करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति बताई गई थी। आसाराम द्वारा जमा की गई संपत्ति की जांच केंद्रीय और गुजरात कर विभाग और ईडी ने भी की थी। साथ ही जांच एजेंसियों ने जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए आश्रमों की भी जांच की।