रायपुर। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के स्टेट लेवल कॉम्पीटिशंस में एक बच्ची ने सभी को हैरान कर दिया है। अब इस बच्ची को सभी फुगड़ी क्वीन के नाम से बुला रहे हैं। इस बच्ची ने पूरे 2 घंटे 20 मिनट तक फुगड़ी किया। इस बच्ची ने अपने मुकाबले में दूसरे खिलाड़ियों को हरा दिया। तब तक फुगड़ी करती रही जब तक खुद थमने का मन न किया। दूसरे प्लेयर हार कर बाहर हो गए ये नहीं रुकी। लोग कहते रहे बस बेटा बस… मगर फुगड़ी क्वीन नहीं रुकी और इसने अपना दम दिखाया।
गांव-गांव में छिपी खेल प्रतिभाओं को छत्तीसगढ़िया ओलंपिक ने मंच दिया। कबीरधाम जिले के छोटे से गांव तालपुर से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेने आई आठ साल की कक्षा दूसरी की छात्रा कुमारी स्नेहा पटेल ने अपने फुगड़ी टैलेंट से सभी को हैरान कर दिया। स्नेहा के नन्हें कदम फुगड़ी खेलते हुए जब 2 घंटे के बाद भी नहीं रूके और लगातार चलते रहे तो लोग अचंभित होकर उत्सुकता से उसकी खेल प्रतिभा को टकटकी लगाकर देखते रहे।
खुद से सीखा खेलना
प्रतियोगिता में 18 से कम आयु की महिला वर्ग में स्नेहा ने अपने से बड़े उम्र के प्रतिभागियों को हराकर पहला स्थान प्राप्त किया। शांत और संकोची स्नेहा के कदमों में गजब की स्फूर्ति दिखी। स्नेहा के पिता भीखम पटेल ने बताया कि स्नेहा ने खुद-बखुद बच्चों के बीच फुगड़ी खेलना सीखा है। उसने जिला स्तर फिर राज्य स्तर पर जीत हासिल की है इसकी उन्हें बेहद खुशी है। उसके कारण उन्हें राजधानी तक आने का सौभाग्य मिला।
65 साल की आशो बाई ने 1 घंटे 31 मिनट तक किया फुगड़ी
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक्स में एक और फुगड़ी टैलेंट प्रदेश को मिला है। हरदी ग्राम पंचायत रायपुर संभाग की 65 वर्षीया आशो बाई ने अपने जज्बे और हौसले से जीत हासिल की। उन्होंने 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में फुगड़ी में 01 घंटा 31 मिनट 58 सेकेंड तक फुगड़ी खेलकर जीत हासिल की। जीतने के बाद भी आशो बाई के फुगड़ी करते हुए कदम थम नहीं रहे थे। बिलासपुर संभाग अंतर्गत कोरबा जिले के पाली विकासखण्ड की साहिन बाई ने भी शानदार जज्बे का परिचय देते हुए 01 घंटा 31 मिनट 53 सेकेंड तक फुगड़ी करते हुए आशो बाई को कड़ी टक्कर दी, तो वहीं बस्तर संभाग की गंगावती प्रधान ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन महिलाओं के अधिक उम्र होने के बावजूद भी उनका छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के राज्य स्तरीय फुगड़ी प्रतियोगिता में गजब का उत्साह देखते बन रहा था।
CM ने कहा था- फुगड़ी से रहेंगे फिट
फुगड़ी एक ऐसा गेम है जो सिर्फ छत्तीसगढ़ में खेला जाता है। इसे लेकर हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया था कि ये ऐसा खेल है जो हमें फिट रखता है। इस खेल से पूरे शरीर का बढ़िया व्यायाम हो जाता है। उन्होंने प्रदेश के यूथ को इस खेल को खेलने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था ये ऐसा गेम है जिसे बिना किसी मैदान में जाए घर पर अकेले ही प्रैक्टिस किया जा सकता है।
फुगड़ी में पैर के पंजों के बल पर बैठते हैं। इसके बाद एक-एक कर बॉडी को बैलेंस करते हुए पैरों को तेजी से आगे-पीछे किया जाता है। गांवों में कुछ पारंपरिक लोकगीतों को गाते हुए इसे खेला जाता है। छत्तीसगढ़ के परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की गई है। राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों का आयोजन राजधानी रायपुर में हाल ही में हुआ था।
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का समापन
राजधानी रायपुर में बीते तीन दिनों से छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक खेलों का समापन बलवीर सिंह जुनेजा स्टेडियम में हुआ। राज्य के ग्रामीण अंचल से लेकर शहरों तक छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में शामिल 14 पारंपरिक खेलों में बीते 6 अक्टूबर से लेकर आज तक विभिन्न चरणों में सभी आयु वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का शुभारंभ 8 जनवरी को किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़िया खेलों को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत की गई है। राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों में सभी जिलों के विजेताओं 1711 प्रतिभागी शामिल हुए। ये स्पर्धाएं 8 जनवरी से 10 जनवरी 2023 तक चली। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में ग्रामीण क्षेत्रों के 25 लाख से ज्यादा और नगरीय क्षेत्रों में एक लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों की भागीदारी रही।
इन खेलों का हुआ था आयोजन
रायपुर के बलबीर सिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में फुगड़ी, बिल्लस, भंवरा, बाटी और कबड्डी, छत्रपति शिवाजी महाराज आउटडोर स्टेडियम में संखली, रस्साकशी, लंगडी, पिट्ठुल, गेंडी दौड़, माधव राव सप्रे उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में खो-खो और गिल्ली डंडा और स्वामी विवेकानंद स्टेडियम कोटा में लंबी कूद और 100 मीटर दौड़ खेलों की प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की गई। गिल्ली डंडा, पिट्टुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बाटी (कंचा) और एकल खेल में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मी. दौड़ तथा लंबी कूद की प्रतिस्पर्धाएं शामिल हैं।