
नई दिल्ली। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), राउरकेला के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा सेमीकंडक्टर आधारित बायोसेंसर तकनीक विकसित की है, जिससे कैंसर का आसानी से पता चल जाएगा। यह तकनीक ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में कैंसर निदान को सुलभ बनाने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
शोध से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह बायोसेंसर बिना किसी अतिरिक्त रसायन के काम करता है और कैंसर कोशिकाओं को स्वस्थ कोशिकाओं से अलग करने में अत्यधिक प्रभावी है। मौजूदा बायोसेंसिंग उपकरणों की तुलना में अधिक सटीक परिणाम देता है। शोध माइक्रोसिस्टम टेक्नोलॉजीज जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रसन्न कुमार साहू के अनुसार, कैंसर एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है और भारत में पिछले कुछ दशकों में स्तन कैंसर के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। कैंसर कोशिकाएं प्रारंभिक अवस्था में कोई लक्षण नहीं दिखातीं, इसलिए प्रारंभिक निदान रोकथाम और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।
आसानी से होगा उपलब्ध
वर्तमान में एक्स-रे, मैमोग्राफी, एलिसा टेस्ट, अल्ट्रासोनोग्राफी और एमआरआई जैसी नैदानिक प्रक्रियाएं उपयोग की जाती हैं, लेकिन इन्हें विशेष उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ये सुविधाएं अक्सर उपलब्ध नहीं होतीं। कोविड-19 महामारी ने इन चुनौतियों को और उजागर किया, क्योंकि चिकित्सा संसाधनों के पुनर्वितरण से कैंसर स्क्रीनिंग और उपचार में देरी होती है।प्रोफेसर साहू ने कहा, इस बायोसेंसर से जटिल बुनियादी ढांचे पर निर्भरता कम होगी और यह सस्ता, तेज और आसानी से उपलब्ध होगा।