
नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है। वहीं इस हमले के बाद जहां एक तरफ सरकार लगातार रूप से आतंकियों की तलाश कर रही है। वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर बेबुनियाद और झूठे पोस्ट की बाढ़ आ गई है। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाया है। इसके तहत सोशल मीडिया पर फैल रही इन गलत जानकारी और अफवाहों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल्स को ब्लॉक कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी और भड़काऊ जानकारी का प्रचलन जारी है। आइए ऐसे ही कुछ फर्जी पोस्ट पर नजर डालते है…
पीओके में भारतीय चेकपॉइंट्स को नष्ट करने का झूठा दावा
पहलगाम हमले के बाद बढ़ते तनाव को देखते हुए एक वायरल पोस्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में भारतीय चेकपॉइंट्स को नष्ट कर दिया था। एक एजेंसी द्वारा इस पोस्ट की पड़ताल करने पर पता चला कि इस पोस्ट के साथ एक तस्वीर थी, जिसमें पहाड़ों में आग लगी हुई थी, जो बाद में 2025 के उत्तरी आयरलैंड के जंगल में लगी आग की निकली, जो किसी सैन्य कार्रवाई से जुड़ी नहीं थी।
वायरल वीडियो का सच
ऐसे ही एक मामले में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि भारतीय पत्रकार ने भारतीय सेना के अधिकारियों से पाकिस्तान से बातचीत न करने को लेकर सवाल किया। हालांकि पड़ताल पर पता चला कि यह वीडियो मार्च 2025 में पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव और लेफ्टिनेंट जनरल मोहित वधवा की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का था। वहीं एक वीडियो में दावा किया गया था कि पाकिस्तान सेना ने भारतीय सेना के एक पोस्ट को नष्ट कर दिया। लेकिन इस वीडियो की जांच में पाया गया कि यह 2020 का पुराना वीडियो था और इसका भारत-पाकिस्तान संघर्ष से कोई संबंध नहीं था।
भारतीय हमले की बात को भी मिली हवा
इसी तरह तीसरी पोस्ट की बात करे तो एक पोस्ट में दावा किया गया कि भारत ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर भारी हमले किए। वहीं पड़ताल में पता चला कि वीडियो को मई 2023 के पाकिस्तान में एक विरोध प्रदर्शन से जोड़ा गया, जो इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में था। साथ ही एक पोस्ट में कहा गया था कि भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में निर्दोष नागरिकों के घरों को नष्ट कर दिया। हालांकि, यह तथ्य सामने आया कि ये घर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों से जुड़े थे।
पोस्ट में सैनिकों की मृत्यू की खबर निराधार
इतना ही नहीं एक तस्वीर में दावा किया गया कि भारतीय सेना के चार जवानों की हाल ही में एलओसी पर मौत हो गई। वहीं इस पोस्ट की जांच में पता चला कि यह तस्वीर 2020 की एक पुरानी ऑपरेशन की थी। इसके साथ ही एक निराधार दावा ये भी किया गया कि चीन भारत को प्रतिशोध के रूप में नदियों को ब्लॉक करेगा। हालांकि इस दावे का कोई प्रमाण नहीं मिला।
इस्राइली वीडियो का हो रहा इस्तेमाल
एक वीडियो में एक वरिष्ठ भारतीय सेना अधिकारी को पहलगाम हमले के लिए सुरक्षा चूक का दोषी ठहराते हुए दिखाया गया था, जो बाद में झूठा साबित हुआ। वहीं दूसरे एक वीडियो में मिसाइल से एक इमारत को नष्ट होते हुए दिखाया गया था, और उसे भारतीय कार्रवाई बताया गया। लेकिन यह फुटेज 2024 में लेबनान पर इस्राइली हवाई हमलों का था।
सर्जिकल स्ट्राइक तक पहुंचा सोशल मीडिया का दावा
ऐसे ही एक वीडियो में दावा किया गया था कि भारतीय वायुसेना ने भारतीय नागरिकों पर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसमें कई नागरिक मारे गए। जबकि सच यह था कि 25 अप्रैल 2025 को मध्य प्रदेश में एक आईएएफ विमान से गैर-विस्फोटक ड्रॉप टैंक गिरने से एक घर को नुकसान हुआ, लेकिन किसी की जान नहीं गई।