
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी इस बैठक का हिस्सा थे। बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली। यह बैठक उस समय हुई है, जब दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत जवाबी कार्रवाई के विकल्पों पर विचार कर रहा है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे।
पीएम मोदी ने क्या कहा
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद पर करारा प्रहार करना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। उन्होंने देश के सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा जताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों को कार्रवाई के तरीके, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी छूट दी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि हमले के जिम्मेदार आतंकियों और उनके आकाओं को धरती के आखिरी कोने तक भी खोजकर सबसे सख्त सजा दी जाएगी। उनका इशारा पाकिस्तान की ओर था, क्योंकि पाकिस्तान का भारत में आतंकवाद फैलाने का इतिहास है। इससे पहले सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की। यह बैठक उस दिन हुई, जब सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने राजनाथ सिंह को पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिए गए कुछ फैसलों की जानकारी दी।
केंद्र सरकार को मिला विपक्षी दलों का समर्थन
पहलगाम हमले के बाद सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी। इसमें विपक्षी दलों ने आतंकियों के खिलाफ सरकार किसी भी कार्रवाई को पूरा समर्थन देने की बात कही।
सीमा पार आतंकवादी हमले के तार
हमले के अगले दिन कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक भी हुई थी। इस बैठक में बताया गया कि इस आतंकी हमले के तार सीमा पार से जुड़े हुए हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि यह हमला ऐसे समय हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं और राज्य धीरे-धीरे आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है।
पाकिस्तान के खिलाफ पांच रणनीतिक फैसले
सीसीएस की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े फैसले लिए गए थे। इसमें सिंधु जल संधि को तत्काल स्थगित करना, अटारी चेक पोस्ट को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति खत्म करना, पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सेना के सलाहकारों को एक हफ्ते के भीतर देश छोड़ने का आदेश जैसे फैसले शामिल थे।