बिलासपुर में भी 8 लोगों की जानें ले चुका है फर्जी डॉक्टर, जिनमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल; अपोलो में था पदस्थ

बिलासपुर । मध्यप्रदेश के दमोह के मिशन अस्पताल में 7 हार्ट पेशेंट की मौत के बाद डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम सुर्खियों में है। डॉ नरेंद्र छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी 8 लोगों की जानें ले चुका है। जिसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का नाम भी शामिल है।

डॉ नरेंद्र तब बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में पदस्थ थे। स्व. शुक्ल के बेटे का बयान सामने आने के बाद CMHO ने अपोलो अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जिसमें पूछा है कि किस आधार पर डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी।

उसकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल समेत 8 लोगों की मौत के मामले में डॉक्टर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई थी।

अपोलो अस्पताल में डॉक्टर नरेंद्र ​​​​​ने किया था इलाज ​​

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. शुक्ल के बेटे प्रो. प्रदीप शुक्ल ने बताया कि अगस्त 2006 में उनके पिता की तबीयत खराब हो गई थी। तब इलाज के लिए उन्हें अपोलो अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें हार्ट की समस्या बताई गई। उनकी एंजियोग्राफी करने की बात कही गई।

तब उनका इलाज हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम ने किया था। 2 अगस्त को एंजियोग्राफी की गई। लेजर से ऑपरेशन करने की जानकारी दी गई। जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया। इस दौरान बताया गया कि उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई है फिर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।

18 दिनों तक वेंटिलेटर पर थे शुक्ल

प्रदीप शुक्ल ने बताया कि तब तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय ने हर संभव इलाज के निर्देश दिए थे। तत्कालीन कलेक्टर गौरव द्विवेदी भी अपोलो अस्पताल गए थे। उस समय उन्हें 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। जब वेंटिलेटर हटाया गया, तब उनकी मौत हो गई।

राजेंद्र शुक्ल की मौत 20 अगस्त 2006 को हुई थी। उस समय डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि आईएमए ने उनकी डिग्री और रजिस्ट्रेशन को फर्जी बताया था। उस समय हम लोग पिता के क्रियाकर्म में व्यस्त हो गए। जिसके बाद उन्होंने कई जगह जानकारी ली, तब पता चला कि उनकी डिग्री फर्जी थी। हालांकि, बाद में अपोलो प्रबंधन ने उन्हें हटा दिया था।

देहरादून का रहने वाला है डॉक्टर, लंदन की डिग्री का दावा

बता दें कि डॉक्टर का वास्तविक नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, जो उत्तराखंड के देहरादून का रहने वाला है। जबकि उसके दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा हुआ है। उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज से बताई गई है और रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है।

लेकिन, इसके बाद जो तीन एमडी और कार्डियोलॉजी की डिग्रियां दी गई हैं, वे क्रमशः कोलकाता, दार्जिलिंग और यूके की बताई गई हैं, जिनमें किसी का भी रजिस्ट्रेशन नंबर उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर यादव साल 2006 में ही अपोलो अस्पताल में कार्यरत था। दमोह की घटना के सामने आने के बाद सीएमएचओ द्वारा अपोलो अस्पताल को नोटिस जारी कर इस संदिग्ध डॉक्टर से संबंधित सभी जानकारी मांगी गई है।

दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले। - Dainik Bhaskar

दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले।

दमोह में डॉक्टर ने ढाई महीने में किया 15 हार्ट ऑपरेशन

बताया जा रहा है कि दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले। आरोप है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुए इन ऑपरेशनों में 7 मरीजों की मौत हो गई। मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी डॉ. नरेंद्र यादव फरार हो गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने घटना को गंभीरता से लिया है।

CMHO बोले- अपोलो से मांगी गई है डिग्री की कॉपी

बिलासपुर CMHO डॉ. प्रमोद तिवारी ने बताया कि इस मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर डॉ. नरेंद्र की डिग्री की प्रति मांगी गई है। यह पूछा गया है कि आखिर अस्पताल ने किस आधार पर उसे नियुक्त किया था।

अपोलो अस्पताल से यह भी पूछा गया है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल समेत 8 लोगों की मौत के मामले में डॉक्टर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई थी।