
नई दिल्ली। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है और चंद्रमा की रोशनी को पूरी या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर देती है। चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा को ही होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के बिल्कुल विपरीत दिशा में सूर्य के सामने होता है। इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को होली के दिन लगेगा, जो कि फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होगा। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका महत्व धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बहुत है।
चंद्र ग्रहण को कई धार्मिक मान्यताओं में नकारात्मक घटना माना जाता है। इस दौरान राहु और केतु के प्रभाव को बढ़ा हुआ माना जाता है, जिससे जीवन में विघ्न, कष्ट और परेशानियाँ आ सकती हैं। इसी कारण से ग्रहण के समय कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए। पूजा-पाठ, हवन और अन्य मांगलिक कार्यों को टालने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, ग्रहण के समय भोजन करने से भी बचने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण की तारीख, समय, और सूतक काल के बारे में।

चंद्र ग्रहण 2025 का समय
– शुरुआत: 14 मार्च, सुबह 09 बजकर 29 मिनट
– समाप्ति: 14 मार्च, दोपहर 03 बजकर 29 मिनट
– मध्यकाल: 14 मार्च, दोपहर 01 बजकर 29 मिनट

भारत में चंद्र ग्रहण का सूतक काल
भारत में इस ग्रहण का दृश्य दर्शन नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, और अन्य कुछ देशों में दिखाई देगा। इसलिए, भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। इसका मतलब है कि इस ग्रहण का कोई प्रतिकूल असर होली के त्योहार पर नहीं होगा, और आप बिना किसी धार्मिक प्रतिबंध के होली खेल सकते हैं।

चंद्र ग्रहण का प्रकार
यह ग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही ग्रहण के प्रभाव में रहेगा, न कि सम्पूर्ण चंद्रमा। इसे खग्रास चंद्र ग्रहण कहते हैं।

क्या है खग्रास चंद्र ग्रहण?
खग्रास चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कुछ हिस्सा ही पृथ्वी की छाया में आता है, जिससे चंद्रमा का केवल एक हिस्सा अंधेरे में डूबा हुआ दिखाई देता है। इसे खंडग्रास रूप में देखा जाता है, और यह देखने के लिए विशिष्ट स्थानों पर यह ग्रहण दिखाई देगा।

ग्रहण के दौरान क्या करें?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों से बचना चाहिए, लेकिन चूंकि भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा और सूतक काल मान्य नहीं होगा, इसलिए होली का पर्व सामान्य रूप से मनाया जा सकता है।