![US Deport: कनाडा के कॉलेजों में फर्जी प्रवेश के नाम पर बनता वीजा, फिर पार कराते US की सीमा, ईडी का खुलासा Visas made in the name of fake admission in Canadian colleges, then made to cross the US border, ED reveals](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2025/01/31/iida-sakataka-tasavara_22aa55c8155e0abb4440c00fa3258580.jpeg?w=414&dpr=1.0&q=65)
नई दिल्ली । अमेरिका से भारतीय अप्रवासियों का निर्वासन किए जाने के बाद तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि भारतीय अवैध रूप से अमेरिका पहुंचते कैसे हैं? ईडी की जांच में सामने आया है कि भारतीयों को अवैध रूप से कनाडा -अमेरिका की सीमा पार कराने के पीछे बड़ा नेटवर्क काम करता है। यह नेटवर्क कनाडा के कॉलेजों में फर्जी प्रवेश दिलाने के नाम भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिका भेजता है। भारतीयों का स्टूडेंट वीजा बनाकर उनको कनाडा भेजा जाता है। इसके बाद कनाडा-अमेरिका की सीमा पार कराई जाती है। अब एजेंसी ने आठ हजार से अधिक ऐसे लेनदेनों की भी जांच शुरू की है, जो विदेश से संबंध रखते हैं। इस मामले में कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंपनियां भी सामने आई हैं जो विदेशों में धन भेजने में सहायता करती हैं।
दरअसल, बीते दिनों अमेरिका से 104 अप्रवासी भारतीयों को लेकर अमेरिकी वायु सेना का एक विमान अमृतसर में उतरा था। इसके बाद से अवैध रूप से अमेरिका जाने वालों को लेकर चर्चा शुरू हो गई। ईडी के अधिकारियों ने बताया कि गुजरात के एक परिवार के चार सदस्यों की कनाडा-अमेरिका पार करते समय मौत हो गई थी। इसके बाद यह मामला खुला और 2023 में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद ईडी ने कनाडा से अमेरिका की सीमा में भारतीयों की तस्करी कराने से जुडे मनी लॉड्रिंग मामले में कनाडाई कॉलेजों और भारतीय संस्थाओं की मिलीभगत को लेकर जांच शुरू की।
अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया है कि कनाडा, भारत और अमेरिका में एजेंटों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो कनाडा के कॉलेजों में फर्जी प्रवेश लेने के जरिये आए भारतीयों की अमेरिका में प्रवेश कराने, उनके रुकने, वीजा प्रबंधन और अन्य कानूनी मुद्दों को हल कराने में मदद करता है। इसका एक एजेंट कनाडा में रहने वाला फेनिल कांतिलाल पटेल भी है।
गुजरात के छात्रों ने तीन साल में किए 8500 लेनदेन
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि कनाडाई कॉलेजों को एक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी के जरिये फीस भेजी जाती है। गुजरात के छात्रों ने सात सितंबर 2021 से नौ अगस्त 2024 तक ऐसे 8500 लेनदेन किए हैं। इसमें 4300 लेनदेन ऐसे हैं, जो डुप्लीकेट हैं या एक ही व्यक्ति ने किए हैं। ईडी को शक है करीब 370 लोग इसी अवैध आव्रजन तरीके से अमेरिका गए हैं। कनाडा में पढ़ने वाले छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों के बयान दर्ज किए गए हैं और जांच जारी है।
समझिए कैसे काम करता था गिरोह
ईडी के अनुसार आरोप है कि पटेल और अन्य ने अवैध रूप से भारतीयों को कनाडा के जरिए अमेरिका भेजने के लिए साजिश रचता है। वह लोगों को कनाडा स्थित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलवाने का इंतजाम करता है। एक बार जब लोग कनाडा पहुंच जाते हैं तो कॉलेज में दाखिला लेने की बजाय उन्हें अमेरिका-कनाडा सीमा पार कराई जाती है। कभी भी कॉलेज में शामिल नहीं हुए। इस रैकेट के तहत एक-एक व्यक्ति से 55 से 60 लाख रुपये वसूले जाते हैं।
ईडी ने की थी छापेमारी
ईडी ने मुंबई, नागपुर, गांधीनगर और वडोदरा में 10 और 19 दिसंबर को तलाशी ली थी। जहां पाया कि दो संस्थाएं विदेशों में भारतीयों के प्रवेश के लिए कमीशन पर काम कर रही थीं। इनमें से एक संस्था मुंबई में और दूसरी नागपुर में स्थित है। इसके अलावा ईडी को यह भी पता चला कि गुजरात में 1,700 से अधिक एजेंट और पूरे भारत में 3,500 एजेंट हैं, जिनमें से 800 से अधिक गुर्गे सक्रिय हैं।। जो भारतीय नागरिकों को कनाडा और अमेरिका भेजने में मदद कर रहे हैं। कनाडा के 112 कॉलेजों ने एक संस्था और 150 से अधिक ने दूसरी संस्था के साथ समझौता किया है। प्रवर्तन निदेशालय कनाडा की सीमा से भारतीयों की तस्करी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में पाया कि 262 कनाडाई कॉलेजों ने मानव तस्करी करने वाले दो भारतीय गिरोहों से करार किया था।