कोरबा: आदिवासी किसान के साथ भाजपा नेत्री द्वारा मारपीट के मामले ने पकड़ा तूल; गिरफ्तारी और SC/ST एक्ट की धारा जोड़ने की मांग

कोरबा। बांकी मोगरा थाना परिसर में ग्राम बरेडिमुड़ा निवासी आदिवासी किसान के साथ भाजपा नेत्री एवं उनके सहयोगियों द्वारा की गई मारपीट मामले में सर्व आदिवासी समाज सामने आया है। इस मामले ने तूल पकड़ने के साथ ही राजनीतिक रंग भी अख्तियार कर लिया है। रामपुर के कांग्रेस विधायक फूल सिंह राठिया ने जहां पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है वहीं भाजपा के पदाधिकारी ज्योति महंत के समर्थन में सोशल मीडिया पर सामने आए। इधर आदिवासी समाज ने थाना पहुंचकर ज्ञापन सौंपा तो दूसरी तरफ ज्योति महंत अपने साथियों के साथ भाजपा महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष को संग लेकर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में नजर आईं। गिरफ्तारी के डर ने इन्हें चिंतित कर दिया है।

सर्व आदिवासी समाज, कोरबा ने पुलिस प्रशासन से सवाल किया है कि क्या छत्तीसगढ़ पुलिस अब राजनीतिक दबाव में कानून की रक्षा की बजाय उसका मखौल उड़ाने वालों का संरक्षण करने लगी है?
07 जून 2025 को ग्राम बरेडिमुड़ा निवासी एक आदिवासी किसान बलवंत सिंह कंवर के साथ भाजपा नेत्री ज्योति महंत एवं उनके साथियों द्वारा रावणभाठा मैदान मार्ग पर गाली-गलौज करते हुए, जातिगत टिप्पणी कर मारपीट की गई। किसान को जबरन घसीटते हुए थाना लाया गया और चौंकाने वाली बात यह है कि थाना परिसर के भीतर, भाजपा नेत्री एवं उनके सहयोगियों ने पीड़ित के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की।
वीडियो में भाजपा नेत्री द्वारा अपमानजनक, अभद्र और जातिवादी भाषा का प्रयोग साफ सुना और देखा जा सकता है। इस दौरान पुलिस ने न तो पीड़ित को सुरक्षा दी और न ही किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप कर कानून व्यवस्था का पालन करवाया। इससे यह स्पष्ट होता है कि पुलिस प्रशासन ने एक राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्ति को कानून से ऊपर मान लिया है।
इतना ही नहीं, पीड़ित किसान से समझौते के नाम पर 4500 रुपये तक की अवैध वसूली भी की गई, जो यह साबित करता है कि थाना परिसर अब न्याय का केंद्र नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और दबंगई का अड्डा बनता जा रहा है। सर्व आदिवासी समाज, कोरबा की ओर से निम्नलिखित मांग की गई है;-

  1. भाजपा नेत्री ज्योति महंत एवं उनके साथियों पर SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम एवं भारतीय दंड संहिता की संगत धाराओं के अंतर्गत तत्काल FIR दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित की आए।
  2. पीड़ित आदिवासी किसान को पुलिस सुरक्षा, चिकित्सा सहायता एवं ₹1 लाख मुआवजा अविलंव प्रदान किया जाए।
  3. थाना परिसर की सीसीटीवी फुटेज को सबूत के रूप में सुरक्षित रख कर जांच में शामिल किया जाए।
  4. थाना बांकीमोंगरा के कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए ताकि भविष्य में किसी निर्दोष आदिवासी के साथ इस प्रकार की बर्बरता न हो।

यदि प्रशासन इस घटना पर मौन बना रहा और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की गई, तो सर्व आदिवासी समाज जिला स्तर पर उग्र जन आंदोलन शुरू करेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। यह केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, पूरे आदिवासी समाज की अस्मिता पर हमला है, हम यह अपमान सहन नहीं करेंगे।