रायपुर । छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला मामले में जेल में बंद अनवर ढेबर की ओर से 3 शराब डिस्टलरी को आरोपी बनाए जाने का आवेदन लगाया है। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। ढेबर की वकील की ओर से यह आवेदन ED कोर्ट में लगाया गया है।
इस आवेदन में भाटिया वाइन एंड मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड, छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज और वेलकम डिस्टलरीज फर्म और उनके मालिक के साथ अन्य लोगों को आरोपी बनाने की मांग की गई । वही ED की ओर से यह इस मामले में शुक्रवार को अपना जवाब पेश किया गया है। वही इस मामले में 20 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई होगी।
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले मामले में ED ने अपनी चार्ट शीट में बताया है कि घोटाले में 1200 करोड़ रुपए की राशि शराब निर्माण कंपनियों ने कमाए है। अनवर ढ़ेबर के वकील अमीन खान ने बताया कि ED यह कह रही है कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला हुआ और 1200 करोड़ रुपए शराब बनाने वाली निर्माता कंपनियों ने मुनाफा कमाया ।
ED की ओर से यह दलील पेश की जाती है कि शराब निर्माता कंपनियों की डिस्टलरीज दबाव में काम कर रही थी। तो उन्होंने इतने सालों में इसकी कही भी इस बात की शिकायत क्यों नहीं दी। अगल डिस्टलरीज को गवाह बनाया गया है तो उसकी भी जानकारी देनी चाहिए। अमीन खान ने कहा आखिर ED शराब निर्माता कंपनियों को क्यों बचाना चाहती है?
वहीं इस मामले में ED के वकील सौरभ पान्डेय ने कहा है कि लगाए गए आवेदन पर हमने अपना जबाव शुक्रवार को दाखिल कर दिया है।अब इस मामले में 20 दिसंबर को पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में सुनवाई होगी।
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में शराब निर्माता कंपनियों में नकली शराब बनाने से लेकर,फर्जी होलोग्राम लगाने का काम किया जाता था। वही प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फ़िल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ की डिस्टिलरियों को नकली होलोग्राम उपलब्ध कराए थे। इन होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाया जाता था। इसके बाद, इन बोतलों को फर्ज़ी ट्रांज़िट पास के साथ CSMCL की दुकानों तक पहुंचाया जाता था।
छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपए के शराब घोटाले मामले में डिस्टलरी की भी बड़ी भूमिका रही है। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) और EOW ने तीनों डिस्टलरी के संचालकों और उनसे संबंधित लोगो पर अब तक कोई एक्शन नही लिया गया है। ना ही अब तक इस मामले पर किसी की गिरफ्तारी हुई है।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी ने यूपी STF की पूछताछ में खुलासा किया था कि इस घोटाले में की सबसे बड़ी बेनिफिशरी डिस्टलरी कंपनियां (शराब निर्माता कंपनियां) थीं। इनमें भाटिया वाइन एंड मर्चेट प्राइवेट लिमिटेड, छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज और वेलकम डिस्टलरीज शामिल हैं।
दोनों आरोपियों ने यूपी STF के अफसरों को यह भी बताया कि, नोएडा स्थित विधु की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड (PHSF) को होलोग्राम बनाने का टेंडर मिला था। उसी से डूप्लीकेट होलोग्राम बनाकर इन तीनों डिस्टलीरज को भेजा जाता था। वहां से अवैध शराब पर इन होलोग्राम को लगाया जाता था। वही यूपी STF ने पूर्व में 2 बार पूछताछ के लिए तीनों डिस्लरीज को लखनऊ बुलाया था लेकिन तीनों कंपनीयों के मालिक पूछताछ में शामिल नहीं हुए थे।