बिलासपुर। आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और ब्लैकमेलिंग मामले में फंसे IPS जीपी सिंह को हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों FIR को रद्द कर दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि, उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामलों में फंसाया गया है। किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। इसकी जानकारी जीपी सिंह के अधिवक्ता हिमांशु पांडे ने दी है।
IPS जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज सभी FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एडवोकेट हिमांशु पांडेय के माध्यम से याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि तत्कालीन सरकार ने उन्हें राजनितिक षड्यंत्र के तहत फंसाया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ जितने भी केस हैं, सभी में कोई साक्ष्य नहीं हैं।
इस दौरान हाईकोर्ट ने माना कि उन्हें परेशान करने के लिए बिना सबूतों के FIR दर्ज की गई थी। इनमें एक भी केस चलने लायक नहीं है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तीनों FIR को रद्द करने का आदेश दिया है।
छत्तीसगढ़ के 1994 बैच के IPS अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ 2021 में ACB ने सरकारी आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी कर 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज़ बरामद किए थे। इसके बाद जीपी सिंह पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप था।
जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित किया गया और कुछ दिनों बाद राजद्रोह का केस दर्ज हुआ। इसके अलावा 2015 में दुर्ग निवासी बिजनसमैन कमल सेन और बिल्डर सिंघानिया के बीच व्यवसायिक लेन-देन को लेकर विवाद हुआ था। इस दौरान सिंघानिया ने सेन के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।
बता दें कि इसके पहले 30 अप्रैल को छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी IPS जीपी सिंह को CAT (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से बड़ी राहत मिली थी। CAT ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया था।
जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।