सक्ती। जिले में फर्जी एसबीआई बैंक खोलकर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की गई। अब पुलिस ने 40 साल के मास्टरमाइंड अनिल भास्कर को बिलाईगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है। उसने 8 और साथियों के नाम भी बताए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। मामला मालखरौदा थाना क्षेत्र के छपोरा गांव का है।
दरअसल, 27 सितंबर को एसबीआई बैंक के फर्जी शाखा में पुलिस ने छापा मारा था। जिसमें 6 कर्मचारी मौके पर काम करते मिले। जिनसे पूछताछ में पता चला कि, एसबीआई बैंक में नौकरी लगने के नाम पर पैसा लेकर ट्रेनिंग में भेजा गया था। जांच में यह ब्रांच फर्जी मिली।
पुलिस ने मास्टरमाइंड अनिल भास्कर (40) को बिलाईगढ़ से गिरफ्तार किया है।
18 सितंबर को खुला था फर्जी बैंक
जानकारी के मुताबिक, SBI क्षेत्रीय व्यवसाय कार्यालय कोरबा के मुख्य प्रबंधक ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।बताया गया कि, छपोरा गांव में 18 सितंबर से फर्जी भारतीय स्टेट बैंक शाखा खुला है, जहां 6 कर्मचारी काम करते हैं। इन्हें अनिल भास्कर ने फर्जी जॉइनिंग लेटर देकर भर्ती किया था।
बिलाईगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम दुम्हानी निवासी आरोपी भास्कर ने पुलिस को बताया कि, ठगी कर उसने 6 लाख 60 हजार रुपए ऑनलाइन लिए। इससे सेकेंड हैंड कार आई-20 और फोन खरीदा। पुलिस ने एक कार, तीन फोन और खाते से 83 हजार रुपए बरामद किए हैं।
आरोपी ने ठगी के पैसे सेकंड हैंड कार आई-20 खरीदा था।
पहले भी कर चुका है ठगी
सक्ती एसडीओपी मनीष कुंवर ने बताया कि, आरोपी बहुत शातिर है। वो रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर 7 लाख 50 हजार रुपए की ठगी बिलासपुर में भी कर चुका है। कई विभागों में नौकरी लगाने पैसे लिए हैं। इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।
पहले जानिए कैसे हुई कर्मचारियों की नियुक्ति
वैभवी कॉम्प्लेक्स में खुली इस कथित ब्रांच में 6 युवाओं को नियुक्ति दी गई। इन युवाओं से 2 लाख से लेकर 6 लाख रुपए तक लिए गए। देश के सबसे बड़े बैंक में नौकरी की चाहत में पैसे देने के लिए युवाओं ने कर्ज लिया और गहने तक गिरवी रखे।
इन युवाओं को इंटरव्यू के जरिए चयनित किया गया। फिर ट्रेनिंग के नाम पर बुलाया गया और चयन के बाद कर्मचारियों को ऑफर लेटर भी दिए गए, जो देखने में असली जैसे थे। इसके बाद इन्हें अलग-अलग जिले में नियुक्ति देने की बात कही गई।
इन ऑफर लेटर के जरिए कथित ब्रांच में मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदों पर कर्मचारियों को काम पर रखा गया था। फर्जी ब्रांच खुले 10 दिन ही हुआ था। इससे पहले की बड़ा घोटाला करते इसका भंडाफोड़ हो गया।
इस तरह का फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर जांजगीर-चांपा के युवा को मार्केटिंग मैनेजर की नौकरी दी गई थी।
कर्मचारी बोले- नौकरी के लिए रुपए लिए गए
कथित ब्रांच में चयनित संगीता कंवर कहती हैं कि, उनको ट्रेनिंग देने के बुलाया गया था। यहां आए तो पता चला कि ब्रांच ही फर्जी थी। उनसे 5 लाख रुपए मांगे गए थे। कहा गया था कि नौकरी में 30 से 35 हजार रुपए का वेतन दिया जाएगा।
वहीं कर्मचारी के रूप में काम कर रहीं ज्योति यादव कहती हैं कि, उन्होंने अपने दस्तावेज जमा किए, बायोमैट्रिक्स पूरा किया। उन्हें बताया गया था कि ज्वाइनिंग कन्फर्म हो गई और उन्हें 30,000 रुपए का वेतन दिया जाएगा।
थाना प्रभारी राजेश पटेल ने बताया- कोरबा निवासी संगीता से 2.50 लाख रुपए, लक्ष्मी यादव से 2 लाख रुपए, परमेश्वर राठौर 3 लाख, कवर्धा निवासी पिंटू मरावी से 5.80 लाख रुपए लिए गए। आरोप है कि ये रकम रेखा साहू और मनधीर दास को दी गई।
जानिए कैसे पकड़ी गई SBI की फर्जी शाखा
गांव में SBI ब्रांच खुलने से गांव के लोग बहुत खुश थे। कई तो वहां जाकर खाता खुलवाने और काम शुरू करने के लिए लोन की जानकारी लेने तक पहुंचने लगे थे। इनमें स्थानीय ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल भी थे। वह 27 सितंबर को ब्रांच में अपना खाता खुलवाने के लिए पहुंचे थे।
उन्हें बताया गया कि, अभी सर्वर नहीं जुड़ा है। ऐसे में खाता नहीं खुल सकेगा। इस पर उन्होंने खाता खुलवाने के लिए दस्तावेज मांगे। उस पर ब्रांच कोड नहीं लिखा था। बाहर बोर्ड और अन्य जगह भी ब्रांच कोड नहीं था। इसके बाद वह डभरा स्थित ब्रांच पहुंचे और शिकायत की।
इसी दिन डबरा ब्रांच मैनेजर शेखर राज छपोरा गांव पहुंच गए। उन्होंने बताया कि, रोजाना फील्ड पर रहना पड़ता है। यहां देखा कि SBI का बोर्ड लगा है। वहां पूछताछ करने के लिए पहुंचा तो कर्मचारी गोल-मोल जवाब देने लगे। इसके बाद अफसरों को इसकी सूचना दी।
7 हजार रुपए महीना किराये पर लिया गया था 2 BHK
SBI की फर्जी शाखा खोलने के लिए वैभवी कॉम्प्लेक्स में किराये पर लिया था। इसमें 2 कमरे, एक हॉल, किचन और वॉशरूम था। यह कॉम्प्लेक्स स्थानीय निवासी तोष चंद्र का है। इस जगह का किराया 7,000 रुपए प्रति माह था।
जालसाजों ने बैंक को वैध दिखाने के लिए फर्नीचर, साइनेज, कंप्यूटर और अन्य चीजों की भी व्यवस्था की थी। बताया जा रहा है कि इनके टारगेट में कोरबा, बालोद, कवर्धा सहित अन्य जिलों के बेरोजगार युवा थे। नौकरी के नाम पर उनको ठगना था।