रायपुर। ‘अनवर ढेबर वो ताकतवर व्यक्ति था, जो तत्कालीन IAS रहे अनिल टुटेजा के साथ मिलकर शराब सिंडिकेट चलाता था। दोनों ने मिलकर पूरे घोटाले की साजिश रची। अनिल टुटेजा के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अनवर आबकारी विभाग में अपने पसंदीदा अधिकारियों को नियुक्त करता था। इस तरह वह वास्तविक रूप से आबकारी विभाग का मंत्री बन गया था।’
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED ने प्रेस नोट जारी कर यह बातें कही हैं।। दरअसल, कारोबारी अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को यूपी के मेरठ से रायपुर लाने के बाद 14 अगस्त तक ED की हिरासत में रखा गया था। दोनों से फिलहाल पूछताछ की जा रही है।
एपी त्रिपाठी की घोटाले में अहम भूमिका
ईडी के मुताबिक, जांच में यह खुलासा हुआ है कि, अरुणपति त्रिपाठी ने सरकारी शराब की दुकानों (जिसे पार्ट-बी कहा जाता है) के जरिए बेहिसाब शराब बिक्री की योजना को लागू करने में अहम भूमिका निभाई। उसने ही 15 जिले जहां अधिक शराब बिक्री होती थी और राजस्व आता था, उन जिलों के आबकारी अधिकारियों के साथ मीटिंग कर अवैध शराब बेचने के निर्देश दिए थे।
एपी त्रिपाठी ने ही विधु गुप्ता के साथ डुप्लीकेट होलोग्राम की व्यवस्था की थी।
डुप्लीकेट होलोग्राम की व्यवस्था की
ED ने अपने प्रेस नोट में बताया कि, एपी त्रिपाठी ने ही विधु गुप्ता के साथ डुप्लीकेट होलोग्राम की व्यवस्था की थी। जांच में पता चला है कि शराब की बिक्री से आने वाले पैसों में एक निश्चित राशि अरुण पति त्रिपाठी को दी जाती थी।
2019 से 2022 तक चला भ्रष्टाचार
ईडी की जांच में पता चला है कि, शराब घोटाले में भ्रष्टाचार 2019 से 2022 के बीच चला है। जिसमें कई तरीकों से भ्रष्टाचार किया गया था।
- पार्ट A – छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड़ (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य का निकाय) की ओर से शराब की प्रत्येक पेटी के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई थी। इस पार्ट में CSMCL के MD अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था। जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा हो गए थे।
- पार्ट B – सरकारी शराब दुकान के जरिए बेहिसाब कच्ची और देशी अवैध शराब की बिक्री की गई। यह बिक्री नकली होलोग्राम से हुई। जिससे राज्य के खजाने में एक भी रुपए नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी राशि सिंडिकेट ने जेब में डाल ली।
- पार्ट C- कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई। और एफएल 10ए लाइसेंस धारक जो विदेशी शराब उपलब्ध कराते थे उनसे भी कमीशन लिया गया।
2100 करोड़ रुपए सिंडिकेट के जेबों में गए
ED ने जांच के दौरान बताया कि, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के जेबों में 2100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध आय भरी गई। एपी त्रिपाठी और अनवर ढेबर की गिरफ्तारी से पहले रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लो को भी ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था।
गोरतलब है कि शराब घोटाले की चल रही जांच में ED ने पहले ही 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया है। जिनकी कीमत करीब 205.49 करोड़ रुपए है।