क्वार्टर फाइनल में हारीं रितिका, कुश्ती के नियमों ने फिर तोड़ा दिल; कांस्य की उम्मीद अब भी बाकी

पेरिस। भारतीय पहलवान रितिका हुड्डा को पेरिस ओलंपिक महिला कुश्ती के 76 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल में किर्गिस्तान की एइपेरी मेतेट के खिलाफ बराबरी के बाद आखिरी अंक गंवाने के कारण हार का सामना करना पड़ा। अपना पहला ओलंपिक खेल रही 21 साल की रितिका ने शीर्ष वरीयता प्राप्त पहलवान को कड़ी टक्कर दी और शुरुआती पीरियड में एक अंक की बढ़त बनाने में सफल रही। दूसरे पीरियड में रितिका ने कड़ी टक्कर देने के बावजूद ‘पैसिविटी (अति रक्षात्मक रवैया) ’  के कारण एक अंक गंवाया जो इस मैच का आखिरी अंक साबित हुआ।

नियमों के अनुसार मुकाबला बराबर रहने पर आखिरी अंक बनाने वाले खिलाड़ी को विजेता घोषित किया जाता है। किर्गिस्तान की पहलवान अगर फाइनल में पहुंचती है तो रितिका के पास रेपेचेज से कांस्य पदक हासिल करने का मौका होगा। इस भारवर्ग में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली देश की पहली पहलवान रितिका ने इससे पहले तकनीकी श्रेष्ठता से जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी। इस ओलंपिक में कुश्ती के नियमों ने भारत के स्वर्ण पदक की उम्मीदों को काफी झटका दिया है। रितिका से पहले विनेश फोगाट भी पदक जीतने से चूक गई थीं। उनका वजन महज 100 ग्राम ज्यादा रह गया था और वह फाइनल नहीं खेल सकी थीं। उन्हें नियमों के आधार पर डिसक्वालिफाई कर दिया गया था।

उन्होंने प्री-क्वार्टर फाइनल में हंगरी की बर्नाडेट नैगी को 12-2 से तकनीकी श्रेष्ठता से हराया। रितिका पहले पीरियड में 4-0 से आगे थी लेकिन उन्होंने दूसरे पीरियड में शानदार प्रदर्शन कर आठवीं वरीयता प्राप्त पहलवान को ज्यादा मौके नहीं दिए। रितिका ने रक्षात्मक खेल के साथ शुरुआत की और हंगरी की पहलवान के आक्रमण को शानदार तरीके से रोकने में सफल रही। रितिका को इसके बाद पैसिविटी के कारण रेफरी ने चेतावनी दी और इस पहलवान के पास अगले 30 सेकंड में अंक बनाने की चुनौती थी।

बर्नाडेट ने रितिका के पैर पर आक्रमण किया लेकिन भारतीय पहलवान ने ‘फ्लिप’कर शानदार बचाव के बाद पलटवार के साथ दो बार दो अंक हासिल करने में सफल रही। शुरूआती पीरियड में 0-4 से पिछड़ने वाली हंगरी की पहलवान ने दो अंक हासिल कर वापसी की लेकिन रितिका ने इसके बाद उन्हें कोई मौका नहीं दिया। रितिका ने प्रतिद्वंद्वी को टेकडाउन कर दो अंक हासिल करने के बाद लगातार तीन बार अपने दांव पर दो-दो अंक हासिल किए जिससे रेफरी को 29 सेकंड पहले ही मैच को रोकना पड़ा।

भारतीय नौसेना की अफसर हैं रितिका
रितिका का जन्म रोहतक के खड़कड़ा गांव में हुआ था। वह भारतीय नौसेना में अफसर हैं और चीफ पैटी अफसर के पद पर तैनात हैं। रितिका का प्रोफेशनल करियर ज्यादा लंबा नहीं है। उन्होंने 2022 में विश्व जूनियर चैंपियनशिप में 72 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2023 तिराना में हुई अंडर 23 विश्व चैंपियनशिप में इस खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीता था। 2024 में ही एशियन चैंपियनशिप में रितिका ने 72 किलो वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया था।

रितिका सपना था कि वो एक दिन भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतें। उनकी मां और पिता ने भी रितिका के सपनों को पूरा करने के लिए उनका जमकर समर्थन किया। रितिका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद रितिका के हर जरूरत का ध्यान रखा। रितिका हांगझोऊ एशियाई खेल और बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल, दोनों के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी थीं। इससे रितिका इतना निराश हुईं कि उन्होंने कुश्ती छोड़ देने का फैसला किया था। हालांकि, माता-पिता ने बेटी को खूब समझाया और निराश न होने की सीख दी। कुछ समय के बाद रितिका उससे उबर गईं और हार से प्रेरणा लेकर जमकर मेहनत की। रितिका ने जमकर मेहनत की और पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया और अब वह देश का नाम रोशन कर रही हैं।