सिब्बल ने CAA पर सुप्रीम कोर्ट में ऐसी क्या दी दलील? सरकार का जवाब सुनते ही CJI ने दे दी अगली तारीख

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 को लागू करने के लिए लाए गए नागरिक संशोधन नियम 2024 पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। इस मामले में अब 9 अप्रैल 2024 को सुनवाई करेगी।

याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पूछा कि सीएए पारित होने के लगभग चार साल बाद नियमों को अधिसूचित करने की अचानक क्या जरूरत थी। चार साल बाद इसको लेकर इतनी जल्दी क्यों मचाई जा रही है? अगर नागरिकता की कोई प्रक्रिया शुरू होती है और लोगों को नागरिकता मिलती है तो यह अपरिवर्तनीय होगी। इसलिए प्रक्रिया शुरू नहीं होनी चाहिए। एक बार जब आप नागरिकता दे देते हैं तो आप इसे वापस नहीं ले सकते।

प्रवासियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि मैं बलूचिस्तान से हूं। मैं भारत आया क्योंकि मुझ पर अत्याचार किया गया। अगर मुझे नागरिकता दी गई है, तो इसका उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने जवाब दिया कि उन्हें वोट देने का अधिकार मिलेगा। इस अदालत को यह अवश्य कहना चाहिए कि इस अवधि के दौरान दी गई नागरिकता इस अदालत के आदेशों के अधीन होगी। हम अब आशा के साथ नहीं चल सकते और न्यायशास्त्र पर भरोसा नहीं कर सकते।

हालांकि इस बीच याचिकाकर्ता नियमों पर रोक लगाने पर अड़े रहे, लेकिन पीठ ने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया। याचिकाकर्ताओं ने तब कहा कि केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को यह वचन देना चाहिए कि जब तक शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाएं लंबित हैं तब तक नियमों को लागू नहीं किया जाएगा और नागरिकता नहीं दी जाएगी।

हालांकि, मेहता ने यह बयान देने से इनकार कर दिया कि केंद्र इस बीच किसी को नागरिकता नहीं देगा। उन्होंने कहा कि प्रवासियों को नागरिकता दी जाए या नहीं, इससे कोई भी याचिकाकर्ता प्रभावित नहीं होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनता। इस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि लेकिन राज्य स्तरीय समितियों आदि का बुनियादी ढांचा तैयार नहीं है। इसके बाद सिब्बल ने कहा कि अगर कुछ हुआ तो वे शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

इसके बाद संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा कि स्थगन आवेदन पर 2 अप्रैल तक पांच पन्नों तक ही सीमित दलीलें दी जाएं। उत्तरदाताओं को 8 अप्रैल तक आवेदन पर 5 पन्नों का जवाब दाखिल करने दिया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी। बता दें कि केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) नियम 2024 की अधिसूचना जारी की, जिसके बाद पूरे देश में सीएए का कानून लागू हो गया। सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता का रास्ता खुल गया।