अयोध्या। प्राणप्रतिष्ठा के बाद रामलला को नवरत्नों के सुमेरू पर्वत पर विराजमान कराया जाएगा। इस सुमेरू पर्वत को काशी में कुशल कारीगारों से तैयार कराया गया है। इसके निर्माण में नवरत्नों हीरा, पन्ना, नीलम, मोती, पुखराज, मूंगा, गोमेद, रूबी और लहसुनिया के साथ ही सोना लगाया गया है।
सुमेरू पर्वत के साथ सप्तधान्य और सप्तमृतिका भी काशी से गया है। राममंदिर व रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ व काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों से इन सभी वस्तुओं को लेकर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय इसे अयोध्या पहुंचा चुके हैं। काशी विद्वत परिषद ने ही रामलला के विग्रह को नवरत्नों के सुमेरू पर्वत पर विराजमान कराने की सलाह दी थी।
दो कैरेट से अधिक हीरा
-सुमेरू पर्वत में दो कैरेट से ऊपर हीरा, सवा नौ रत्ती से ऊपर हीरा, पन्ना, नीलम, मोती, पुखराज, मूंगा, गोमेद, रूबी और लहसुनिया है।
-सप्तमृतिका : काशी के देवालयों की मिट्टी, अश्वालय, गोशाला, वेश्यालय, यज्ञशाला, गंगा और खेत की मिट्टी भेजी गई है।
-सप्तधान्य : सप्तऋषियों के प्रतीक सप्तधान्य में जौ, तिल, चावल, मूंग, कंगनी, चना और गेहूं।
प्राणप्रतिष्ठा के लिए पहुंच रही सामग्री
-रामलला के ननिहाल छत्तीसगढ़ से तीन हजार क्विंटल चावल भेजा गया है।
-ससुराल नेपाल के जनकपुर से मेवा, फल, मिठाइयां व वस्त्र-आभूषण से सजे 1100 थाल 5 जनवरी तक अयोध्या पहुंच जाएंगे।
-120 किलो की घंटी : तमिलनाडु के नामक्कल से 42 घंटियां। एक का वजन 120 किग्रा है।
-एटा जिले में बना अष्टधातु का 21 किलो का 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा घंटा।
-गुजरात के वडोदरा से गाय के गोबर से तैयार 108 फुट लंबी अगरबत्ती।
-नर्मदा, बेतवा, चंबल, ताप्ती, सतलुज, नेपाल की गंडक, इंद्रावती व सुनकोशी नदी का जल।