छत्तीसगढ़ : राजभवन में अटके संशोधन विधेयकों को लेकर राजनीति शुरू, कांग्रेस ने भाजपा की नीयत पर उठाए सवाल

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के फैसले में विधेयकों को मंजूरी देने के मामले में राज्यपालों को उनकी सीमा याद दिलाई है। इसके बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राजभवन में अटके संशोधन विधेयकों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद दीपक बैज ने आरोप लगाया कि भाजपा के षड़यंत्र के कारण राजभवन में आरक्षण संशोधन विधेयक लंबित है। छत्तीसगढ़ में विपक्ष की भूमिका निभाने में भाजपा पूरी तरह से नाकाम रही है, नकारे जाने के बाद अब केवल झूठ और षड़यंत्रों की राजनीति कर रही है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राजभवन में बिलों को रोके जाने के मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी की और राज्यपालों को समझाइश देते हुए यह कहा कि चुनी हुई राज्य सरकारों के द्वारा पारित बिलों के संदर्भ में राजभवन को तत्परता बरतनी चाहिए। किसी भी तरह से वीटो पावर के रूप में विधेयकों को लंबित रखना अनुचित है।

राज्यपाल पर कांग्रेस हमलावर

गौरतलब है कि भूपेश सरकार ने दो दिसंबर 2022 को आरक्षण संशोधन बिल पारित किया था। इसके अनुसार अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग को चार प्रतिशत के साथ कुल 76 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान रखा गया है। यह विधेयक राजभवन में 11 महीने से अधिक समय से अटका हुआ है। इसके अलावा 10 अन्य बिल भी अटके हुए हैं। इसे लेकर कांग्रेस एक बार फिर हमलावर हो गई है।

आरक्षण बिल को लेकर कांग्रेस की नीयत नहीं है साफ

भाजपा भाजपा नेता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने बैज के आरोपों पर पलटवार कर कहा कि कांग्रेस आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर भ्रम फैलाना बंद करे। अगर कांग्रेस की सरकार को आरक्षण ही लाना था तो वह अपनी नीयत साफ करके इसे विधानसभा में पारित कराती, इन्होंने लोगों को भ्रमित करने के लिए संशोधन बिल लाया। इतना ही नहीं, जिन्होंने आदिवासियों के आरक्षण के खिलाफ न्यायालय में याचिका लगाई थी इस सरकार ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया।