छत्तीसगढ़ : जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने की उठी मांग, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर

रायपुर : देश में होने वाले हर चुनाव को लोकतंत्र का बड़ा महापर्व के रूप में माना जाता है और इस पर्व में शत प्रतिशत मतदान के लिए सभी वर्गों को शामिल किया जाता है. जिसमें महिला, पुरुष, युवा, बुजुर्ग तथा दिव्यांग भी शामिल होते है. इतना ही नहीं मतदान का अधिकार थर्ड जेण्डर को भी प्राप्त है साथ ही इस लोकतंत्र के पर्व में उसकी भी हिस्सेदारी हो सके. लेकिन देश के विभिन्न जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को मतदान देने का अधिकार नहीं है, वहीं जेल में बंद विचाराधीन कैदी चुनाव लड़ सकते है. लेकिन अब देश की जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने की मांग उठने लगी है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

इस मुद्दे पर अब देश में बहस छिड़ गई है कि जो चुनाव लड़ सकता है वह मतदान क्यों नहीं कर सकता. देशभर में विचाराधीन कैदियों की बहुत अधिक संख्या है जो वोट के अधिकार से वंचित हैं. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत, पुलिस की कानूनी हिरासत में और कारावास की सजा काटने वाले व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते. जनप्रतिनिधित्व कानून की उक्त धारा में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो जेल में बंद हो, वह किसी भी चुनाव में मतदान नहीं कर सकेगा.

ऐसे व्यक्ति को चाहे कारावास हुआ हो, वह ट्रांजिट रिमांड पर हो या पुलिस हिरासत में, उसे मतदान की पात्रता नहीं होगी. इसके लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ता बंदियों को मत देने के अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे है. इसके अलावा वे नागरिक जिन्हें कानून द्वारा भ्रष्ट आचरण या चुनाव से संबंधित किसी भी अवैध कार्य के कारण मतदाता बनने के हकदार से वंचित कर दिया जाता है वो चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं.

जिला जेल कोरिया में 175 बंदी नहीं कर सके मतदान 

जिला जेल बैकुंठपुर में 148 पुरुष कैदियों को रखने की क्षमता है. वहीं 20 महिलाओं कैदियों के रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान समय में 165 पुरुष विचाराधीन कैदी है, जबकि 10 महिला विचाराधीन कैदी है. कुल 175 विचाराधीन कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं मिला. इनमें से 3 से 4 बंदी सजा काट रहे है.

कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं

कोरिया जिला जेल अधीक्षक अक्षय तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि देश के कानून अनुसार जेल में कैद विचाराधीन या सजा काट रहे कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं है. उन्होंने बताया कि बैकुंठपुर जिला जेल में ऐसे बंदियों की संख्या 175 है. श्री तिवारी ने आगे बताया कि जानकारी के अनुसार बंदियों को भी देश भर में मतदान का अधिकार मिल सके. इसे लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है.