छत्तीसगढ़: सिंधी समाज भाजपा से नाराज, दावेदारों को मौका न देने पर फूटा गुस्सा, ओम माथुर को भेजी चिट्ठी, लिखा,’भाजपा ने किया तिरस्कार’

दावेदारों को मौका न देने से फूटा आक्रोश, ओम माथुर को भेजी चिट्ठी, लिखा भाजपा ने तिरस्कार किया|रायपुर,Raipur - Dainik Bhaskar

रायपुर। प्रदेशकी राजनीति में भारतीय जनता पार्टी की आने वाली दूसरी सूची की चर्चा है । इस बीच कुछ नाम सामने आए जिन्हें भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी बना सकती है । चर्चा में सामने आए संभावित नाम में सिंधी समुदाय से नाम नहीं दिखे, इस वजह से अब समाज का गुस्सा फूटा है।

समाज की ओर से एक पत्र छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर को भेजा गया है। माथुर के नाम लिखी गई चिट्ठी में समाज के पदाधिकारी ने कहा है कि सिंधी समाज का भारतीय जनता पार्टी ने तिरस्कार किया है। समाज के लोग हमेशा भाजपा का समर्थन करते आए हैं। मगर एक भी व्यक्ति को टिकट न दिए जाने की बात सामने आई है, जिससे समाज में नाराजगी है।

बैठक भी बुलाई

माथुर को सिंधी पंचायत की चुनाव समिति के संयोजक गोविंद वाधवानी ने चिट्ठी भेजी है। इसमें सामाजिक बैठक का जिक्र किया है । उन्होंने लिखा है कि समाज के लोगों को टिकट न दिए जाने की वजह से समाज की एक बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में तय किया जाएगा कि आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करना है या नहीं। 

हम रणनीति बना रहे

छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत चुनाव समिति का संयोजक गोविंद वाधवानी ने कहा कि समाज बीजेपी के प्रति आक्रोशित है । उन्होंने कहा कि हम बैठक में बात करेंगे कि क्या हमें कांग्रेस का साथ देना है, या निर्दलीय प्रत्याशी उतारने हैं। गोविंद ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश में सिंधी समुदाय बड़ा वोट बैंक है। इसके बावजूद समाज से जुड़े दावेदारों पर ध्यान न दिया जाना ठीक नहीं। 

सिंधी समुदाय और सियासत

एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 7 लाख से अधिक की आबादी सिंधी समाज के लोगों की है । रायपुर शहर, भाटापारा, बिलासपुर, बिल्हा, राजनांदगांव , दुर्ग और धमतरी ये कुछ ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां बड़ी तादाद में सिंधी समुदाय के लोग रहते हैं । प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सियासी दलों के वोट बैंक को प्रभावित भी करते हैं। इस बार सिंधी समुदाय को उम्मीद थी कि इन जगहों से उनके प्रत्याशियों के नाम सामने आएंगे। 

हालांकि अभी भारतीय जनता पार्टी ने अपनी आधिकारिक सूची जारी नहीं की है, जो नाम सामने आए हैं संभावित नाम हैं और ऐसे हैं जो लगभग चर्चा में रहे हैं। मगर इनमें सिंधी समुदाय की ओर से कोई बड़ा नाम प्रोजेक्ट नहीं किया गया । इस वजह से समाज में नाराजगी है । समाज के लोग मानते हैं कि अपने समुदाय की जनसंख्या के अलावा वह अपने साथ कारोबार में जुड़े आस-पड़ोस में जुड़े परिवारों को भी प्रभावित करते हैं । समाज से जुड़ी समस्याओं को लेकर शिकायत कर सकें, इसके लिए व्यवस्था में उन्हीं के समाज का व्यक्ति होना जरूरी है। 

टिकट देने की गई थी मांग

सिंधी समाज के प्रतिनिधि लगातार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के संपर्क में रहे । वह इस बात की मांग भी करते रहे कि समुदाय से किसी न किसी व्यक्ति को टिकट दिया जाए। हालांकि किस सीट से किसे टिकट दिया जाए समाज की ओर से नहीं बताया गया था, मगर समाज के लोगों को प्रत्याशी बनाने की मांग जरूर करते रहे। रायपुर की बात की जाए तो श्री चंद्र सुंदरानी, उदय शादानी, बिलासपुर में ललित मखीजा जैसे नाम हैं जो विधानसभा सीट के लिए दावेदार हैं । भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है की आधिकारिक सूची सामने आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। दूसरी तरफ सिंधी समुदाय प्रेशर पॉलिटिक्स करने में भी पीछे नहीं है।