कबीरधाम में मटर के आकार से बड़े ओले गिरे
रायपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों मौसम का मिजाज बदला हुआ है। कई इलाकों में पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक बारिश हो रही है। इस बीच कोंडागांव में तेज आंधी, बारिश और ओले गिरने से 30 से ज्यादा बगुलों की मौत हो गई है। वहीं कई बगुलें घायल हुए हैं। जैसे ही लोगों को पता चला कि घायल बगुले जमीन पर पड़े हुए हैं। वैसे ही लोगों की भीड़ मौके पर पहुंच गई और वे लोग उन्हें उठाकर ले गए। वहीं इसकी सूचना जब वेटनरी डिपार्टमेंट को लगी, तब वे मौके पर पहुंचे। वे घायल बगुलों को उपचार के लिए अपने साथ ले गए हैं। जहां उनका इलाज किया जा रहा है।
कबीरधाम और बेमेतरा में सोमवार दोपहर जमकर बारिश हुई। इस दौरान ओले भी गिरे। इसके चलते सब्जी, गेहूं समेत अन्य फसलों को नुकसान हुआ है। हल्की बारिश का दौर अभी भी जारी है। वहीं कांकेर में भी तेज आंधी के साथ रविवार देर शाम बारिश हुई है। इसके कारण पेड़ों से बड़ी तादात में कच्चे आम टूटकर बिखर गए। आम की फसल चौपट हो गई है। जबकि स्थानीय आदिवासियों के लिए यह आय का प्रमुख जरिया भी है। सालाना लाखों रुपये का अमचूर बस्तर के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचता है।
कबीरधाम : शहर में धूप, ग्रामीण क्षेत्रों में गिरे ओले
कबीरधाम जिले के पंडरिया ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र कुकदूर में सोमवार दोपहर करीब 2.30 बजे बारिश हुई। इसके साथ ओले भी गिरे हैं। वहीं कवर्धा शहर में सोमवार दोपहर 4 बजे तक मौसम खुला है। यहां बारिश नहीं हो रहीं है। जिले में 15 दिन से मौसम की स्थिति ठीक नहीं रही है। तेज गरज और चमक के साथ आंधी-बारिश का दौर जारी है। आकाशीय बिजली भी गिर चुकी है। इसके चलते लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। ज्यादा नुकसान फसलों का है। खेत में कटी पड़ी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है।
बेमेतरा में फसलों को नुकसान हुआ है
बेमेतरा : कृषि प्रधान जिले में खेती चौपट
बेमेतरा शहर में दोपहर करीब 3.30 बजे के बाद बारिश शुरू हुई। तेज बारिश के साथ कुछ स्थानों पर ओले भी गिरे हैं। हालांकि बारिश की रफ्तार कम हो गई है, लेकिन आसमान में बादल छाए हुए हैं और रिमझिम फुहारों का दौर जारी है। बेमेतरा की बात करें तो यह कृषि प्रधान जिला है। जिले की आर्थिक व्यवस्था सीधे तौर पर कृषि के ऊपर निर्भर करती है। इस बीच बीते 15 दिनों से यहां मौसम का मिजाज बदला हुआ है। इस बिगड़ते मौसम के कारण सब्जी और गेहूं की फसल को काफी नुकसान हुआ है। सब्जी की फसल ज्यादातर बेरला और नवागढ़ ब्लॉक में होती है।
कांकेर में आंधी से टूटकर बिखरे आम
कांकेर : किसान बोले- धूप नहीं निकली तो सड़ जाएंगे आम
कांकेर में गर्मियों के मौसम में वर्षों पहले पर लगाए गए बस्तर के देसी आम अपनी अलग पहचान रखते हैं, लेकिन अंधड़ और बारिश की वजह से इस बार फसल को खासा नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने पूरे बस्तर में आंधी के साथ बारिश की संभावना जताई थी। जिले को आरेंज जोन में रखा गया था। 21 अप्रैल की शाम बारिश के बाद दिनभर मौसम खुल गया था, लेकिन शाम को अचानक करवट ली। आसमान में घने बादल छाने के साथ तेज हवाएं चलने लगी। बारिश का दौर शुरू हो गया।
महुआ के बाद आम आय का बड़ा जरिया
सफेद अमचूर की निर्धारित दर 120 रुपये और भूरे अमचूर की 80 रुपये किलो निर्धारित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महुवा के बाद आम आय का बड़ा जरिया है। किसान रतिरात बताते हैं कि उनके खेत के बाड़े में आठ आम के पेड़ हैं। तेज आंधी-बारिश के कारण इस बार सारे आम की फसल पहले ही झड़ गई है। हजारों रुपये का अमचूर बेचता था। जमीन पर गिरे आम सड़ जाएंगे। अगर जल्दी धूप नहीं निकलती है तो आम को फेंकने के आलवा कोई रास्ता नहीं रहेगा। मौसम बदलने से तेजी गर्मी से जरूर राहत मिली, लेकिन जिले में आम की फसल को भारी नुकसान भी हुआ है।
मौसम विभाग ने जारी किया है अलर्ट
छत्तीसगढ़ में पिछले कई दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही थी, लेकिन रविवार से मौसम में बदलाव आया है। प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश हुई थी। मौसम विभाग ने 27 अप्रैल तक प्रदेश के 10 जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट और 8 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है।मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदेश के कुछ इलाकों में गरज चमक के साथ अंधड़ चलने और आकाशीय बिजली गिरने की आशंका है। प्रदेश के कई जिलों में आज भी तेज हवा, बारिश के साथ वज्रपात हो सकता है। उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश से तमिलनाडु तक एक द्रोणिका बनी हुई है। कम दबाव की इस पट्टी के कारण समुद्र की तरफ से लगातार नमीयुक्त हवा आ रही है।