दुर्ग। पुलिस ने मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी करने वाले चार आरोपियों को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में मास्टर माइंड सहित तीन लड़कियां भी शामिल हैं। आरोपियों ने देश भर में लोगों से करीब 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। इसके लिए 22 लोगों की टीम को कॉल सेंटर में काम करने के लिए रखा गया था। पकड़ी गई तीन युवतियों में से एक उसकी मैनेजर थी, जबकि बाकी दोनों को ठगी की ट्रेनिंग देने के बाद काम पर लगाया गया था। आरोपियों ने अपने ठगी करने के तरीके का दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव को डेमो भी दिया।
दरअसल, पाटन के खुड़मुड़ी निवासी तेजेंद्र कुमार चक्रबर ने 24 नवंबर को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि, दीपिका मंडल ने उसे कॉल किया। खुद को एयरटेल कंपनी कोलकाता से बोलना बताया और मोबाइल टावर लगाने की बात कही। यह भी बताया कि टावर लगवाने पर कंपनी 15 लाख रुपये एडवांस देगी और फिर हर महीने 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। इस पर तेजेंद्र तैयार हो गया। इस पर आरोपी दीपिका ने डॉक्यूमेंट तैयार करने और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 60 हजार रुपये किश्तों में मांगे। उसकी बातों में आकर तेजेंद्र ने किश्तों में 59460 रुपये ट्रांसफर कर दिए, लेकिन टावर नहीं लगा।
इस पर पुलिस ने जांच शुरू की और नंबर ट्रेस करते हुए कोलकाता तक पहुंच गई। वहां 24 परगना में आरोपियों ने बकायदा दफ्तर खोल रखा था। पुलिस ने वहां से बिहार के पूर्वी चंपारण निवासी बरुण सिंह उर्फ मयंक सिंह (39), जिला नार्थ 24 परगना वेस्ट बंगाल निवासी आसिमा राय (30), साल्टलेक कोलकाता निवासी दीपिका मण्डल (26) और बड़ानगर कोलकाता निवासी स्नेहा पाल (25) को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी देश के कई शहरों में करीब एक हजार लोगों को ठग चुके हैं। इसमें कर्वधा में 21 लाख, धमतरी से तीन लाख, दुर्ग क्षेत्र से 90 और शिवनी मध्य प्रदेश से 38460 रुपये शामिल हैं।
ग्राफिक डिजाइनर से बना ठगी का ट्रेनर
पुलिस पूछताछ में बरुण सिंह उर्फ मयंक सिंह ने बताया कि उसने इंटर तक पढ़ाई की है और ग्राफिक डिजायनर का काम करता था। शादी के बाद कुछ दिन ऐवर फेस मार्केटिंग प्राइवेट कंपनी में जुड़कर ठगी की। फिर विनायक इन्फोटेक कंपनी और मंडल इन्टरप्राइजेस में भी काम कर ठगी सीखी। इसके बाद 2018 से खुद ठगी का काम शुरू कर दिया। सुपर मार्केट में किराये पर कमरा लेकर ठगी करने के लिए कॉल सेंटर शुरू किया। वहां स्नेह पाल, आसिमा राय और दीपिका मंडल को ठगी काम करने के लिए रखा था। उन सभी को ठगी करने के तरीके, बातचीत करने का तरीका सिखाया।
मैनेजर के खाते में आते ठगी के रुपये, फिर होता हिस्सा
आरोपी बरुण सिंह ने पुलिस को बताया कि उसने दीपिका मंडल के नाम से बैंक ऑफ बड़ौदा और आसमा राय का केनरा बैंक व एचडीएफसी में खाता खुलवा रखा था। आसिमा राय के खाते से बरूण का नंबर लिखा था। आरोपी लड़कियां फर्जी नाम अलका शर्मा, पूजा शर्मा, अंकिम सिंह के नाम से लोगों से बात करती। जब ठगी की रकम खाते में आती तो आसिमा राय के खाते की रकम को फोन-पे और दीपिका मंडल के खात से एटीएम के जरिए निकाल लेता। इसके बाद हर महीने ठगी की रकम तीनों में वेतन के रूप में बांटी जाती। पुलिस ने हिसाब का डायरी ठगी, एटीएम, पास बुक, उपस्थिति पंजी, लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल, ठगी की रकम से खरीदी बुलेट बरामद की है।