रायपुर।छत्त्तीसगढ़ में विधानसभा का बजट सत्र कई मायनों में अहम रहा। सरकार ने जहां किसानों के धान को लेकर बड़ा दांव खेला और 20 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदने की घोषणा की। वहीं, विधायकों का सियासी रुख भी साफ होता नजर आया। प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में से 71 पर कांग्रेस, 14 पर भाजपा, तीन पर जनता कांग्रेस छत्त्तीसगढ़ (जकांछ) और दो पर बसपा का कब्जा है। वर्ष 2018 में बसपा और जकांछ ने मिलकर चुनाव लड़ा था और प्रदेश की सात विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव से पहले समीकरण बदले-बदले नजर आ रहे हैं। जकांछ के दो विधायक धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा जहां खुलकर भाजपा के साथ नजर आ रहे हैं।
वहीं, सत्र के समापन के दिन किसानों के धान खरीदी की सीमा को बढ़ाने की घोषणा के बाद बसपा विधायक केशव चंद्रा सीएम बघेल को बधाई देने पहुंचे। चंद्रा सदन में लगातार सरकार को घेरते हैं, लेकिन सीएम से बढ़ती नजदीकी आगामी चुनाव के लिए काफी मायने रखती है।
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो जकांछ विधायक धर्मजीत सिंह पहले से ही पार्टी से निष्कासित हैं। जकांछ अध्यक्ष रेणु जोगी और अमित जोगी ने विधानसभा अध्यक्ष डा चरणदास महंत से मिलकर धर्मजीत को पार्टी से अलग करने का पत्र दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने धर्मजीत को अलग विधायक के रूप में मान्यता दी है।
इसके बाद विधानसभा में सीट का बंटवारा किया गया, जिसमें धर्मजीत सिंह भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के बगल में बैठने लगे। बताया जा रहा है कि धर्मजीत की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की प्रदेश संगठन ने पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन शाह के दो दौरे (कोरबा और बस्तर) में समय की कमी का हवाला देकर मुलाकात को टाल दिया गया।
सूत्रों की मानें तो प्रमोद शर्मा भी बलौदाबाजार से भाजपा की टिकट की गारंटी मांग रहे हैं। जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने साफ कर दिया है कि इस चुनाव में किसी की टिकट की गारंटी नहीं है। ऐसे में प्रमोद कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस के साथ नजर आते हैं। प्रमोद के बारे में मुख्यमंत्री बघेल ने विधानसभा में चुटकी ली थी। उन्होंने कहा था कि प्रमोद को पांच साल में सभी पार्टियों का अनुभव है। कांग्रेस की सरकार बनने से पहले वह पार्टी की पदयात्रा में शामिल होते थे। चुनाव जकांछ से लड़े और अब भाजपा के साथ नजदीकी है।