नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) का सदन जंग का मैदान बन गया। जिन पार्षदों को दिल्लीवालों ने अपने बेशकीमती मतों से जिताया उन्होंने कल रातभर और आज सुबह सदन में जो हरकत की वो शर्मसार करने वाली थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मेयर उम्मीदवार रेखा गुप्ता ने तो सदन में हद ही पार कर दीं। उन्होंने डैश पर लगे माइक को तोड़कर फेंक दिया। इस दौरान पूरे सदन में धक्कामुक्की का नजारा था। पार्षदों ने एक दूसरे पर पानी की खाली बोतलें फेंकी।
दिल्लीवालों की संपत्ति क्यों तोड़ दी?
एमसीडी में जीत हार भले ही पार्टियों की हुई हों लेकिन सदन की संपत्तियां तो दिल्लीवालों की हैं। एमसीडी कई मदों से में दिल्लीवालों से टैक्स वसूलती है और उसी टैक्स से सदन में माइक, डेस्क और टेबल लगता है। अगर किसी को किसी बात पर गुस्सा आया भी हो तो उसे प्रदर्शन करने का तरीका कुछ और भी हो सकता है। माइक तोड़ना या बोतलें फेंकना कहीं से भी सही नहीं हो सकता है। पार्षद महोदया को ये माइक तोड़ने का हक किसने दे दिया?
रातभर सदन में हंगामा
MCD मेयर चुनाव में आप की शैली ओबरॉय के जीतने के बाद स्थायी समिति के सदस्यों के चयन को लेकर बवाल शुरू हो गया। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षद इसके बाद रातभर हंगामा करते रहे। दोनों तरफ से जबरदस्त शोरशराबा किया गया। पार्षद तो पानी की बोतल से एक-दूसरे पर पानी भी फेंकते देखे गए। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये माननीयों का सदन है।
जनता के पैसे पर पार्षदों की तोड़-फोड़
एमसीडी का सदन जंग का मैदान बन गया था। महिला पार्षद कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही थीं। कुछ वीडियो तो ऐसे वायरल हो रहे हैं, जिसे देख आप दंग रह जाएंगे। महिला पार्षद आपस में गुत्थमगुत्था होती दिखीं। एक वीडियो में तो दो महिला पार्षद लड़ते हुए टेबल से गिर गईं।
आपको इसके लिए तो सदन नहीं भेजा माननीय!
पिछले डेढ़ दशक तक एमसीडी में बीजेपी का राज था। इस बार आप ने बड़ी जीत के साथ बीजेपी को एमसीडी से बेदखल कर दिया। लेकिन उसके बाद मेयर के चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। पांच बार शोरशराबे और प्रदर्शन के कारण मेयर का चुनाव तक नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद एमसीडी का मेयर चुनाव हुआ।
जनता में क्या संदेश जाएगा?
एमसीडी में जिस तरह का दृश्य पिछले एक महीने से दिखा है, वो कम से कम अच्छा तो नहीं ही है। एमसीडी को दिल्ली की ‘छोटी सरकार’ भी कहा जाता है। MCD के पास वाटर सप्लाई, ड्रेनेज सिस्टम, बाजारों की मेंटेनेंस, पार्क, पार्किंग लॉट्स, सड़कें और ओवरब्रिज, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्ट्रीट लाइटिंग की व्यवस्था है। यानी वो तमाम अहम काम जिसका जनता से सीधा वास्ता होता है। लेकिन जब जनता के पास ये पार्षद जाएंगे तो क्या मुंह लेकर जाएंगे। एमसीडी में बदलाव तो हुआ लेकिन इस हंगामे और शोरशराबे ने इस सदन की छवि ही खराब की है।