PM मोदी बोले- चुनाव नतीजों से जो विपक्ष साथ नहीं आ पाया; उसे ED ने कर दिया एकजुट

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दे रहे हैं। दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर PM ने बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा- बहुत सारे विपक्षी मिले-सुर मेरा-तुम्हारा कर रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता, देश के चुनाव के नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएंगे, वो तो हुआ नहीं। लेकिन इन लोगों को ED का धन्यवाद करना चाहिए उसके कारण ये एक मंच पर आ गए।

मोदी ने कहा- UPA के 10 साल में सबसे ज्यादा घोटाले हुए। इनकी निराशा का कारण यही है कि देश का सामर्थ्य खुलकर सामने आ रहा है। 2004 से 2014 तक UPA ने हर मौके को मुसीबत में बदल दिया। जब टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन का युग बढ़ रहा था, उसी समय ये 2G में फंसे रहे। सिविल न्यूक्लियर डील की चर्चा के दौरान ये कैश फॉर वोट में फंसे रहे।

मोदी के भाषण से पहले जय श्री राम के नारे
मोदी की स्पीच से पहले लोकसभा में भाजपा सांसदों ने जय श्री राम के नारे लगाए। वहीं, हंगामे पर स्पीकर के टोकने पर मोदी के भाषण से पहले विपक्ष ने वॉकआउट किया। भाषण की शुरुआत में मोदी ने राष्ट्रपति के अभिनंदन की बात कही, तो सत्ता पक्ष ने मेज थपथपाकर स्वागत किया।

प्रधानमंत्री के भाषण के प्रमुख बिंदु

  • राष्ट्रपति जी ने अपने विजनरी भाषण में राष्ट्रपति ने हम सबको और देशवासियों का मार्गदर्शन किया है। देश की कोटि-कोटि जनता के लिए गणतंत्र के मुखिया के रूप में उनकी मौजूदगी प्रेरणा है। कुछ लोग राष्ट्रपति के भाषण से कन्नी काट गए। यह राष्ट्रपति का अपमान तो है ही, इससे जनजातीय समुदायों के प्रति उनकी नफरत भी दिखाई देती है।
  • कई सदस्यों ने सदन में तर्क और आंकड़े दिए। अपनी रुचि, प्रवृत्ति और प्रकृति के अनुसार बातें रखीं। इनसे उनकी क्षमता, योग्यता और समझ का पता लगता है। इससे पता चलता है कि किसका क्या इरादा है, देश भी इसका मूल्यांकन करता है।
  • कल कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा इको सिस्टम, समर्थक उछल रहे थे। खुश होकर कह रहे थे कि ये हुई ना बात। नींद भी अच्छी आई होगी। उठ भी नहीं पाए होंगे। ऐसे लोगों के लिए कहा गया है- ये कह-कहकर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं।
  • राष्ट्रपति के भाषण से कुछ सदस्य कन्नी काट गए। एक बड़े नेता राष्ट्रपति जी का अपमान भी कर चुके हैं। जनजातीय समुदाय के प्रति नफरत भी दिखाई दी है। टीवी पर उनके बयानों से भीतर पड़ा हुआ नफरत का भाव बाहर आ गया। बाद में चिट्ठी लिखकर बचने की कोशिश की गई।
  • भारत में दो-तीन दशक अस्थिरता के रहे। आज स्थायी और फैसले लेने वाली सरकार है। एक निर्णायक और पूर्ण बहुमत से चलने वाली सरकार है। ये वो सरकार है, जो रिफॉर्म कर रही है। हम इससे पीछे हटने वाले नहीं है, चलते रहेंगे। देश को जो चाहिए वो देते रहेंगे।
  • देश में हर स्तर पर, हर क्षेत्र में, हर सोच में आशा ही आशा नजर आ रही है। एक विश्वास से भरा हुआ देश है। सपने और संकल्प वाला देश है। लेकिन यहां कुछ लोग ऐसी निराशा में डूबे हैं। काका हाथरसी ने कहा था- आगा पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन।
  • ये निराशा भी ऐसे नहीं आई। कारण है.. एक तो जनता का हुकुम, बार-बार हुकुम। साथ-साथ इस निराशा के पीछे जो अंतर्मन में पड़ी चीज है चैन से सोने नहीं देती है। पिछले 10 साल में 2014 के पहले 2004 से 2014 भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई। निराशा नहीं होगी तो क्या होगा। 10 साल में महंगाई डबल डिजिट रही। कुछ अगर अच्छा होता है तो निराशा और उभरकर आती है।
  • मोदी ने कहा- 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए। यह युवा ताकत को पेश करने का मौका था, लेकिन CWG घोटाले में पूरा देश दुनिया में बदनाम हो गया। सदी के दूसरे दशक में भारत की चर्चा ब्लैकआउट के लिए हुई, तब कोयला घोटाला चर्चा में आ गया। 2008 के आतंकी हमले को कोई भूल नहीं सकता है। 10 साल तक देश आतंकवाद से जूझता रहा। जब HAL सामर्थ्य का अवसर थी, तब सत्ता चलाने वाले लोगों के नाम हेलिकॉप्टर घोटाले में आ गए। हिंदुस्तान याद रखेगा कि 2014 के पहले का दशक लॉस्ट डेकेड के नाम से जाना जाएगा।
  • लोकतंत्र में आलोचना का बहुत महत्व है। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। आलोचना लोकतंत्र की मजबूती के लिए है। दुर्भाग्य से बहुत दिनों से इंतजार कर रहा हूं कि कोई मेहनत-एनालिसिस करेगा। लेकिन लोगों ने आलोचना का मौका आरोपों से गंवा दिए। हर जगह आरोप, गालीगलौज। चुनाव हार जाओ- ईवीएम खराब, चुनाव आयोग को गाली, कोर्ट में फैसला नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट को गाली दे दो।
  • अगर भ्रष्टाचार की जांच हो रही है तो जांच एजेंसियों को गाली दो। अगर सेना पराक्रम करे, शौर्य दिखाए और देश का जन-जन भरोसा करे तो सेना को गाली दो, उस पर आरोप लगाओ। कभी आर्थिक प्रगति की खबरें आएं, चर्चा हो, तो RBI को गाली दो।
  • हमने 9 साल देखा है कि कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म की जगह कम्पल्सिव क्रिटिक्स ने ले ली है। ये इसी में डूबे हुए हैं। सदन में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियों के बारे में बहुत कुछ कहा गया। बहुत सारे विपक्षी मिले-सुर मेरा-तुम्हारा कर रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता, देश के चुनाव के नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएंगे, वो तो हुआ नहीं। लेकिन इन लोगों को ED का धन्यवाद करना चाहिए उसके कारण ये एक मंच पर आ गए।
  • अध्यक्षजी सुन रहा हूं यहां कुछ लोगों में हार्वर्ड स्टजी का बड़ा क्रेज है। कोरोना काल में ऐसा ही कहा गया था और कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में स्टडी होगी। कल फिर सदन में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की बात हुई। बीते वर्षों में हार्वर्ड में स्टडी हुई है। उसका टॉपिक था- द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडियाज कांग्रेस पार्टी। मुझे भरोसा है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर हार्वर्ड ही नहीं, बड़े-बड़े यूनिवर्सिटी में अध्ययन होना ही है। इस प्रकार के लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने बढ़िया बात कही है- तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।