रायपुर। प्रदेश कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज राजभवन पहुंचा। उन्होंने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर डॉ. रमन सिंह के खिलाफ एसीबी जांच की अनुमति देने की मांग की। एंटी करप्शन ब्यूरो-एसीबी ऐसी जांच का प्रस्ताव काफी पहले ही भेज चुका है, जिस पर राज्यपाल की अनुमति बाकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव के कांग्रेस नेता नवाज खान ने एक शिकायत की थी। उसमें उन्होंने रमन सिंह और उनके पुत्र अभिषेक सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाया था। सरकार ने इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो-एसीबी और EOW को सौंपा था। शुरुआती जांच के बाद एसीबी ने इन आरोपों को जांच योग्य पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक के खिलाफ जांच से पहले नियम आड़े आये तो एंटी करप्शन ब्यूरो ने सरकार से इसकी अनुमति मांगी। सरकार की ओर से यह प्रस्ताव राजभवन भेजकर उसपर राज्यपाल की अनुमति मांगी गई, लेकिन अब तक उसपर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
देरी से नाराज कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार शाम को राजभवन पहुंच गया। इसमें रायपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश दुबे, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, प्रवक्ता आर.पी. सिंह, सुरेंद्र वर्मा, शिव सिंह ठाकुर, रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे आदि शामिल थे। राज्यपाल नहीं मिलीं तो राजभवन के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर ये नेता लौट आए। कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुकला ने कहा, डॉ. रमन सिंह के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति की शिकायत है। एसीबी ने जांच में शिकायत को सही पाया है। आगे की जांच के लिए राजभवन से अनुमति मांगी गई है। वह प्रस्ताव राजभवन में लंबित है। हम लोगों ने मांग की है कि जांच को अनुमति दी जाए ताकि छत्तीसगढ़ की जनता को पता लगे कि 15 सालों में उनको कितना लूटा गया है।
कांग्रेस का आरोप है कि 1998 में कवर्धा विधानसभा का चुनाव हारने के बाद रमन सिंह कर्ज में डूबे हुए थे। मुख्यमंत्री बनने तक वे एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार के सदस्य थे। 2008 में विधानसभा का चुनाव लड़ते समय रमन सिंह ने एक करोड़ की संपत्ति का कुल ब्यौरा दिया था। 2013 के चुनाव में यह बढ़कर 5 करोड़ और 2018 के चुनाव में 10.72 करोड़ रुपए हो गई। आरोप है कि रमन सिंह ज्ञात रूप से कोई कारोबार भी नहीं करते। फिर उनकी संपत्ति इतना कैसे बढ़ गई?
कांग्रेस की ओर से यह भी आरोप लगाया गया है कि डॉ. रमन सिंह के बेटे और पूर्व सांसद अभिषेक सिंह का उत्तराखंड के गढ़ मुक्तेश्वर में करोड़ो का रिसॉर्ट था। उन्होंने कभी भी इसकी जानकारी नहीं दी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले उन्होंने यह रिसॉर्ट एक पारिवारिक सदस्य के नाम पर ट्रांसफर कर दिया। आरोप है कि यह रिसॉर्ट भी संभवत: डॉ. रमन सिंह ने खरीदा था। आरोप है कि अभिषेक सिंह तीन कंपनियों में डाइरेक्टर हैं और ये कंपनियां कोई कारोबार नहीं करती हैं।