रायपुर। रायपुर में अपने मां-बाप और भोपाल में अपनी प्रेमिका का मर्डर करने वाले उदयन दास को सजा हुई है। रायपुर की अदालत ने उदयन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सोमवार को रायपुर और भोपाल में हुए हत्याकांड के आरोपी उदयन के मामले में आखिरी सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश हिरेंद्र सिंह टेकाम की अदालत में सुनवाई हुई। इसके बाद आरोपी उदयन को दोषी करार देते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई।
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर निलेश ठाकुर ने बताया कि कोर्ट ने उदयन को सश्रम कारावास की सजा दी है। साल 2010 में उदयन ने अपने पिता बीके दास और मां इंद्राणी की हत्या की थी। इन दोनों के मर्डर के बाद उदयन ने सुंदर नगर रायपुर के मकान के आंगन में सेप्टिक टैंक बनवाया और इसी में दोनों को गाड़ दिया था। बाद में उदयन ने ये मकान बेच दिया था। उसने भोपाल में भी अपनी प्रेमिका की हत्या की थी। इस वक्त उदयन जेल में है।
इसलिए मार दिया था माता-पिता को
– पूछताछ में उदयन ने पुलिस को बताया कि मां उसे बहुत परेशान करती थी। वह उसे रुपए नहीं देती थी। बात-बात पर टोकती रहती थी। ध्यान देने वाली बात है कि उदयन के पिता बीके दास भेल में फोरमैन थे। उदयन की मां विध्यांचल भवन में एनालिस्ट की पोस्ट से रिटायर हुई थीं। मां की पेंशन लगभग 30 हजार रुपए आती है।
– वो मां से पैसे लेकर ऐश करना चाहता था। जब वो नहीं देती तो उसने मारने का प्लान बना लिया। चूंकि भोपाल के एमपी नगर में फेडरल बैंक में पिता के साथ उदयन का ज्वाइंट अकाउंट था। मां-पिता की मौत के बाद उदयन हर माह उनका पेंशन निकाल लेता था और बैंककर्मी जब उनके बारे में पूछते तो टाल देता था।
– उदयन ने मां-पिता को मारने के बाद रायपुर स्थित मकान को बेंच दिया। उनके रिटायरमेंट के पैसे और मकान को बेचने से उसे पौने 2 करोड़ रुपए मिले। इन पैसों से उसने एक ऑडी कार और होंडा सिटी सिविक का टॉप मॉडल खरीदा और घर पर सोनी का सवा लाख का होम थिएटर लगवाया था।
प्रेमिका को चबूतरे में दफना उसी पर सोता था
– पश्चिम बंगाल के बांकुरा में रहने वाले देवेंद्र कुमार शर्मा की बेटी आकांक्षा उर्फ श्वेता (28) की 2007 में उदयन नाम के लड़के से ऑरकुट पर दोस्ती हुई थी।
– जून 2016 में घर से नौकरी करने की बात कहकर आकांक्षा भोपाल आ गई। यहां वह उदयन के साथ रहने लगी। उसने परिवार वालों को बताया कि मैं अमेरिका में नौकरी कर रही हूं।
– जुलाई 2016 के बाद आकांक्षा के परिवार वालों से बात होनी बंद हो गई। भाई ने नंबर ट्रेस कराया तो लोकेशन भोपाल की निकली।
– परिवार के लोगों को शक था कि आकांक्षा उदयन के साथ रह रही है। दिसंबर 2016 में आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई। एक महीने की जांच के बाद पुलिस उसके ब्वॉयफ्रेंड उदयन के घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने आकांक्षा की हत्या की बात कबूली। आकांक्षा अपने एक दोस्त से फोन पर अक्सर बात करती थी। यह बात उदयन को नागवार गुजरती थी। 14 जुलाई 2016 की रात आकांक्षा और उदयन के बीच जमकर बहस हुई थी। आकांक्षा ने उसे थप्पड़ जड़ दिया। आकांक्षा सो गई, लेकिन उदयन रातभर जागता रहा। मारने की प्लानिंग करता रहा।
– 15 जुलाई की सुबह वह आकांक्षा के सीने पर बैठ गया और तकिए से उसका तब तक मुंह दबाता रहा, जब तक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं। इसके बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने हाथ से उसका गला घोंट दिया। जब उसका गुस्सा शांत हो गया तो वो दिन दिन तक घर में आकांक्षा की डेड बॉडी रखकर उसके जिंदा होने का इंतजार करता रहा।
– जब आकांक्षा की डेड बॉडी से बदबू आने लगी तो उदयन ने एक पुराने बख्शे को खाली कर उसमें शव डाल दिया। उसने बॉक्स में सीमेंट का घोल भर दिया। फिर उसे एक सीमेंट के चबूतरे में दफन कर दिया। उदयन ने बताया कि शव को बॉक्स में दफनाने का आइडिया इंग्लिश चैनल पर “वॉकिंग डेथ” सीरियल से मिला था। इसमें उसने एक ऐसी ही मर्डर मिस्ट्री देखी थी। हत्या के बाद वह चबूतरे पर ही गद्दा बिछाकर सो जाता था। चबूतरे पर परफ्यूम भी छिड़कता था।
आकांक्षा की तलाश में हो सका खुलासा
उदयन की प्रेमिका आकांक्षा का कई दिनों से अपने पेरेंट्स से बात नहीं कर रही थी। पेरेंट्स को शक हुआ। उन्होंने बंगाल पुलिस से शिकायत की। जांच में उदयन का नाम सामने आया। पुलिस ने पूछताछ की तो उदयन ने प्रेमिका और पेरेंट्स के मर्डर की बात बताई थी। उदयन की प्रेमिका उसके साथ लिव इन में भोपाल में रह रही थी। वो उदयन से पीछा छुड़ाना चाहती थी। दोनों के बीच झगड़े शुरू हो चुके थे, रात के वक्त उदयन ने मौका पाकर उसकी हत्या कर दी थी। इस केस के बाद पुलिस ने उदयन के परिवार के बारे में उससे सवाल किए तो वो ठीक ढंग से जवाब नहीं दे रहा था, पुलिस उदयन के परिवार से संपर्क करने का प्रयास कर रही थी तो उसने बताया कि मां-बाप को भी मारकर गाड़ चुका है।
12वीं तक पढ़ा, IIT का झूठ बोला
उदयन रायपुर के एक स्कूल से मात्र 12वीं कक्षा तक पढ़ा लिखा। वह इंग्लिश में बात करता है। उदयन ने बताया था कि वह आईआईटी दिल्ली से पढ़ा हुआ है। लेकिन वह झूठ निकला। उसके माता-पिता की नौकरी और मकान से मिले पैसों के कारण वह अपने शौक पूरे करता था। उसे माता-पिता के दिल्ली के एक फ्लैट से 10,000 रुपए, रायपुर के फ्लैट से 7,000 रुपए और साकेत नगर स्थित मकान के भूतल का किराया 5,000 रुपए प्रतिमाह मिलता था।
इसके अलावा पिता के संयुक्त खाते में 8.5 लाख रुपए की एफडी का ब्याज भी उसे मिलता था। उदयन के पिता वीके दास भेल में फोरमैन थे। उदयन की मां विध्यांचल भवन में एनालिस्ट की पोस्ट से रिटायर हुई थीं। मां की पेंशन लगभग 30 हजार रुपए आती है। अपनी पोस्ट में कभी वह पेरिस तो कभी मॉस्को में बताता था। कभी यूएन में नौकरी तो कभी यूएस में पीएचडी करने के लिए जाना बताता था।