नई दिल्ली। चीन से लगती सीमा पर पेट्रोलिंग पॉइंट्स को लेकर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार को घेरा है। शुक्रवार को एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कहा, भारत ने अब 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (पीपी) में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अपना अधिकार खो दिया है। मई 2020 से पहले भारत सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग करता था। गलवां में मई 2020 के दौरान ही भारत के 20 बहादुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। पीएलए द्वारा सबसे ऊंची चोटियों पर अपने बेहतरीन कैमरों की मदद से भारतीय सेना पर नजर रखी जा रही है।
पवन खेड़ा ने अपने बयान में कहा, मोदी सरकार की चीन को क्लीन चिट देश के हिस्से की ‘सलामी स्लाइसिंग’ करवाती है। चीन को पीएम मोदी की ‘बेदाग क्लीन चिट’ के झूठ का पर्दाफाश ‘पुलिस मीट सिक्योरिटी रिसर्च पेपर’ की कड़वी सच्चाई ने कर दिया है। बतौर कांग्रेस नेता, मोदी सरकार द्वारा चीन के अवैध कब्जे और सैन्य निर्माण से लगातार इनकार ने चीन का हौसला बढ़ाया है। उन्होंने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा व भूभागीय अखंडता से समझौता करने का आरोप लगाया है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक डीजीपी-आईजीपी सम्मेलन में पीएम मोदी, गृह मंत्री, अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया था। बतौर खेड़ा, चर्चा के लिए प्रस्तुत एक विस्तृत सिक्योरिटी रिसर्च पेपर में भारत के क्षेत्र पर चीन के अवैध कब्जे के प्रति मोदी सरकार की स्तब्ध कर देने वाली उदासीनता के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
रिसर्च पेपर में हुए कई खुलासे
भारत ने अब 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (पीपी) में 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर अपना अधिकार खो दिया है। मई 2020 से पहले भारत सभी 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग करता था। पेपर में कहा गया है, वर्तमान में, काराकोरम दर्रे से लेकर चुमार तक 65 पीपी हैं, जिन्हें आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाता है। 65 पीपी में से, 26 पीपी (यानी पीपी नंबर 5-17, 24-32, 37, 51,52,62) में हमारी उपस्थिति प्रतिबंधात्मक या आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बलों) द्वारा गश्त नहीं करने के कारण खो गई हैं। बाद में चीन, भारत को यह तथ्य स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है कि इन क्षेत्रों में लंबे समय से आईएसएफ या नागरिकों की उपस्थिति नहीं देखी गई है। जबकि उन क्षेत्रों में चीनी मौजूद थे। इससे भारतीय सीमा की ओर आईएसएफ के नियंत्रण वाले सीमा क्षेत्र में बदलाव होता है। ऐसे सभी पॉकेट को बफर जोन बना दिया जाता है, जिससे भारत इन क्षेत्रों पर नियंत्रण खो देता है। इंच दर इंच जमीन हड़पने की पीएलए की इस चाल को ‘सलामी स्लाइसिंग’ के नाम से जाना जाता है।
चीन कर रहा डीस्केलेशन वार्ता का उल्लंघन
पीएलए ने सबसे ऊंची चोटियों पर अपने बेहतरीन कैमरे लगाकर बफर क्षेत्रों का लाभ उठाया है। चीन की सेना, भारतीय बलों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। ये डीस्केलेशन वार्ता का उल्लंघन है। यही अजीबोगरीब स्थिति चुशुल में ब्लैक टॉप, हेलमेट टॉप पहाड़ों, डेमचोक, काकजंग, हॉट स्प्रिंग्स में गोगरा हिल्स और चिप चाप नदी के पास देपसांग मैदानों में देखी जा सकती है। रिसर्च पेपर में कहा गया है कि सितंबर 2021 तक, जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी डीबीओ सेक्टर में काराकोरम दर्रे (दौलत बेग ओल्डी से 35 किमी) तक आसानी से गश्त कर रहे थे।, हालांकि, दिसंबर 2021 में भारतीय सेना द्वारा डीबीओ पर चेक पोस्ट के रूप में स्वतः प्रतिबंध लगाए गये थे, जिससे काराकोरम पास तक जाने की रोक लग जाए।
बिना फेंस वाली जगह पर चीन लगा रहा प्रतिबंध
पवन खेड़ा ने कहा, रिपोर्ट में लिखा है कि बिना फेंस वाली सीमाएं चांगथांग क्षेत्र (रेबोस) के खानाबदोश समुदाय के लिए चरागाह के रूप में काम कर रही हैं। समृद्ध चरागाहों की कमी को देखते हुए, वे परंपरागत रूप से पीपी के करीब के क्षेत्रों में उद्यम करते हैं। पेपर में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ‘2014 के बाद से, आईएसएफ द्वारा रेबोस पर चराई प्रतिबंध लगाया गया है। भारतीय सैनिकों को विशेष रूप से पीएलए द्वारा आपत्ति की जा सकने वाली उच्च पहुंच पर रेबोस की आवाजाही को रोकने के लिए भेस बदलकर तैनात किया जाता है। इसी तरह डेमचोक, कोयल जैसे सीमावर्ती गांवों में विकास कार्य, पीएलए की प्रत्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक निगरानी में हैं। वहां पर पीएलए द्वारा तुरंत आपत्ति जताई जा सकती है।
बॉर्डर पर स्थिति को लेकर कांग्रेस ने पूछे ये सवाल
सैन्य स्तर की 17 राउंड की बातचीत के बाद, मोदी सरकार ने तीन साल बाद फिर से यथास्थिति सुनिश्चित क्यों नहीं की। इस तथ्य को देखते हुए कि एक ‘डीजीपी स्तर’ की कांफ्रेंस में पेश किए गए पेपर ने इस अति संवेदनशील मुद्दे को उजागर किया है, तो ऐसे में क्या मोदी सरकार देश को बताएगी कि उसने भारत के अधिकारिक भूभागों को चीन के हवाले क्यों कर दिया है। मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की कांग्रेस पार्टी की मांग पर ध्यान नहीं दिया। क्या मोदी सरकार देश को अंधेरे में रखेगी या देश को चीन के अवैध कब्जे की सच्चाई बताएगी। कांग्रेस पार्टी, संसद के आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग करती है। भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता दांव पर है और इसे बनाए रखने के लिए सभी को मिलकर हर संभव प्रयास करना चाहिए।