लुसैल। अपने पांचवे और अंतिम विश्व कप में लियोन मेसी ने उस सपने को भी पूरा कर लिया, जो वह बचपन से देख रहे थे। अर्जेंटीना के दिग्गज खिलाड़ी माराडोना ने जब 1986 में आखिरी बार टीम को विश्व विजेता बनाया था, तब एक बच्चे ने यही सपना अपने देश के लिए भी देखा था। वह थे लियोन मेसी। चार विश्व कप से ट्राफी की तलाश में जुटे मेसी ने 2014 में टीम को फाइनल तक भी पहुंचाया, पर वह जीत नहीं दिला सके, लेकिन इस बार उनका ये सपना सच हो गया और अर्जेंटीना 36 साल विश्व कप का खिताब अपने नाम करने में कामयाब हो गया।
पिता करते थे फैक्ट्री में मजदूरी, मां करती थी सफाई का काम
दरअसल, लियोन मेसी का जन्म 24 जून 1987 को अर्जेंटीना के रोजारियो में एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ। मेसी के पिता एक फैक्ट्री में मजदूर थे और उनकी काम सफाई करने का काम करती थी। हालांकि, पांच साल की उम्र में मेसी अपने पिता जॉर्ज द्वारा प्रशिक्षित किए जा रहे एक स्थानीय क्लब ग्रैंडोली के लिए फुटबॉल खेलने लगे। 1995 में मेसी अपने गृह शहर रोजारियो में स्थित न्यूवेल ओल्ड बॉयस के लिए खेलने लगे, लेकिन 11 साल की उम्र में उन्हें एक गंभीर बीमारी का पता चला, जिसके सुन परिवार के लोग काफी परेशान हो गए। इस बीमारी का नाम ग्रोथ हार्मोन डेफिसिएंसी था।
फुटबॉल क्लब बार्सिलोना के एक फैसले ने बदली मेसी की किस्मत
हालांकि, जब मेसी की ये बीमारी सामने आई तो परिवार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मध्यमवर्गीय परिवार (मिडिल क्लास) से आने के कारण माता-पिता ने मेसी के लिए जो बन सका, उसे करने की कोशिश की। इसी दौरान फुटबॉल क्लब बार्सिलोना मेसी के इलाज के लिए आगे आया। बार्सिलोना के खेल निदेशक कार्ल्स रिक्सैक को मेसी की प्रतिभा के बारे में बताया गया। जिसके बाद बार्सिलोना ने उनसे एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाए, जिसके बाद मेसी और उनके परिवार को अर्जेंटीना छोड़ स्पेन आना पड़ा। मेसी का परिवार यूरोप आ गया और उन्होंने क्लब के युवा टीमों में खेलना शुरू कर दिया।
मेसी ने 2004-05 में किया अपना डेब्यू
लियोन मेसी ने 17 साल की में 2004-05 के दौरान बार्सिलोना क्लब के लिए अपना डेब्यू किया। उन्होंने 1 मई 2005 को अल्बासेटे के खिलाफ अपना पहला गोल किया था। इसके बाद मेसी ने अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना शुरू किया। बता दें कि 2012 में मेसी ने एक साल के दौरान 91 गोल किए थे, जो एक साल में किसी भी खिलाड़ी ने अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इतने गोल नहीं किए थे।
माराडोना से होती मेसी की तुलना
बता दें कि मेसी ने अर्जेंटीना के लिए पांच विश्व कप खेले हैं। इससे पहले साल 2014 में अर्जेंटीना को जर्मनी से विश्व कप के फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, जब भी मेसी किसी भी बड़े टूर्नामेंट में उतरते तो उनकी तुलना माराडोना से होती थी, लेकिन उसमें भी सिर्फ एक कमी रह जाती थी, वह था टीम को विश्व कप दिलाना। हालांकि, मेसी ने रविवार को कतर में हुए फाइनल मुकाबले में ये कसर पूरी कर दी और 36 साल बाद अर्जेंटीना ने विश्व कप का खिताब अपने नाम किया।
36 साल बाद विश्व विजेता बना अर्जेंटीना
गौरतलब है कि मेसी ने फ्रांस के विरुद्ध दो गोल दागकर कई रिकार्ड अपने नाम कर लिए हैं। पहले हाफ में जहां उन्होंने मिली पेनाल्टी का फायदा उठाते हुए गेंद को नेट में पहुंचाया, अतिरिक्त समय के दूसरे हाफ में भी उन्होंने एक गोल दागकर टीम की दावेदारी को मजबूत कर दिया। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें जीत के लिए पेनाल्टी शूटआउट का इंतजार करना पड़ा। पेनाल्टी शूटआउट में मेसी की टीम ने गत विजेता को 4-2 से हराकर उस सपने को साकार कर दिया, जो कभी मेसी ने देखा था।