नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें।
केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली दलीलों के एक समूह पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान सहित याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनीं।
जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागरथना की पीठ ने कहा, “हमने सुना और फैसला सुरक्षित रखा गया है। भारतीय संघ और भारतीय रिजर्व बैंक के वकीलों को संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया जाता है।”
एजी ने पीठ के समक्ष कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में प्रासंगिक रिकॉर्ड जमा करेंगे। शीर्ष अदालत 8 नवंबर, 2016 को केंद्र की ओर से घोषित नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही थी।