रायपुर। रविवार को हुए शिव महापुराण कथा कार्यक्रम में सांप घुस आया। भीड़ के बीच बल खाते काले नाग को देखकर कोई डर रहा था तो कोई हैरान था। लोगों ने इसे नाग देवता बताकर पूजना शुरू कर दिया। एक शख्स ने सांप की पूंछ को पकड़ लिया, तो भागकर कुछ महिलाएं और युवतियां करीब आईं और सांप को छूकर प्रणाम करने लगीं।
लोगों की भीड़ में सांप भी कभी दाएं जा रहा था तो कभी बाएं। लोग जय हो नागदेवता का नारा लगाने लगे। अब इस घटना का वीडियो सोमवार को सामने आया है। शहर के गुढ़ियारी इलाके में मशहूर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का कार्यक्रम था। रविवार को वो कथा सुनाकर मंच से हटे तो कुछ देर बाद भीड़ के बीच सांप-सांप का शोर होने लगा। पंडाल के बीच जहां लोग बैठे थे वहां विचरण करते काले नाग पर नजर पड़ी। एक दिन पहले भी इस सांप को कुछ लोगों ने पंडाल के ऊपरी हिस्से में देखा था, लेकिन कुछ ही देर में वह वहां से कहीं चला गया था।
कार्यक्रम स्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने बताया कि सांप ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
कार्यक्रम शिव महापुराण पर था। भगवान शिव के श्रृंगार के रूप में सांपों का वर्णन शास्त्रों में मिलता है। कुछ श्रद्धालुओं ने इसे अलौकिक घटना बता दिया। लोग सांप के आने को चमत्कार से जोड़कर देखने लगे। उसे पूजने लगे। हालांकि भीड़ में मौजूद कुछ लोगों ने बाद में सांप को पूंछ से पकड़ा और कार्यक्रम स्थल से कुछ दूर खुली जगह पर छोड़ दिया।
बड़ी तादाद में लोग पहुंच रहे थे।
ये था कार्यक्रम
9 नवंबर से 13 नवंबर तक रायपुर के गुढ़ियारी के दही हांडी मैदान में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के कथा कार्यक्रम का आयोजन हुआ। हर दिन यहां 1 लाख से अधिक लोग पहुंच रहे थे। इस कार्यक्रम में पंडित मिश्रा ने भगवान शिव के बारे में बताया। कथा कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को शिव पूजन से जीवन के कष्टों को दूर करने के तरीके बताए।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायपुर में किया कथा वाचन।
बचपन में दूसरों के कपड़े पहन स्कूल जाते थे पंडित मिश्रा
रायपुर में कार्यक्रम में आए मध्यप्रदेश के सीहोर में जन्मे पंडित प्रदीप मिश्रा अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हैं। उन्होंने कहा- मेरा जन्म घर के आंगन में तुलसी की क्यारी के पास हुआ था, क्योंकि अस्पताल में जन्म के बाद दाई को जो रुपए दिए जाते थे उतने भी हमारे पास नहीं थे। मेरे पिता स्व. रामेश्वर मिश्रा पढ़ नहीं पाए। चने का ठेला लगाते थे। बाद में चाय की दुकान चलाई, मैं भी दुकान में जाकर लोगों को चाय दिया करता था। दूसरों के कपड़े पहनकर स्कूल गए दूसरे बच्चों की किताबों से पढ़ाई की। बाद में शिव भक्ति ने उनका जीवन बदला।