रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज जशपुर में दिलीप सिंह जूदेव की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया. ऐसे वक्त में जब कोई सरकार में बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहा था, तब अपनी मूछों को दांव पर लगाकर भाजपा को सत्ता दिलाई. यही नहीं धर्मान्तरण के दौर में वे घर वापसी अभियान चलाकर हजारों आदिवासी परिवारों को हिन्दू धर्म में वापस लेकर आए.
दिलीप सिंह जूदेव न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि भारतीय राजनीति के एक ऐसे किरदार थे, जिन्होंने राजनीति की परिभाषा को ही बदल दिया. जशपुर रियासत के राजा विजय भूषण के द्वितीय पुत्र दिलीप सिंह जूदेव का जन्म 8 मार्च 1949 को हुआ था. अपनी विशाल कद काठी के लिये सिर्फ़ राज्य नहीं अपितु संपूर्ण देश में अलग से पहचाने जाते रहे. राजघराने से जुड़े होने के बाद भी वे एक ऐसे शख्स थे, जो आम लोगों के ज्यादा करीब समझे जाते थे. इसी वजह से वे लोगों के दिलों में राज करते थे.
चुनाव हारने के बाद भी निकाली विजयी रैली
उनका यह रूतबा ही था, जो एकतरफा माने जा रहे खरसिया उपचुनाव में अविभाजित मध्यप्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया. यही नहीं देश के ऐसे इकलौते नेता बन गए,जिन्होंने हारने के बाद भी सालभर तक क्षेत्र में विजयी जुलूस निकाला.
मूछों के दम पर दिलाई भाजपा को सत्ता
छत्तीसगढ़ का प्रथम विधानसभा चुनाव दिलीप सिंह जूदेव के नेतृत्व में लड़ा गया. कांग्रेस नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी की लगभग सत्ता में वापसी के कयास को अपने एक दांव से पूरी तरह से मोड़ दिया. उन्होंने भाजपा की जीत को अपने मूछों (इज्जत) से जोड़कर कार्यकर्ताओं में ऐसा जोश भरा कि पूरे 15 साल तक भाजपा सरकार में बनी रही.
बात आदमकद प्रतिमा की
सरसंघचालक मोहन भागवत आज दिलीप सिंह जूदेव की जिस आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया हैं, उसे सुप्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने बनाया है. सरदार पटेल की सुप्रसिद्ध ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाकर चर्चा में आए राम सुतार ने अष्टधातु से दिलीप सिंह जूदेव की मूछों पर ताव देते 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई है. यह प्रतिमा हू-ब-हू दिलीप सिंह जूदेव की तरह दिखती है. उम्मीद की जा रही है कि यह प्रतिमा लोगों को केवल व्यक्ति के प्रति ही नहीं बल्कि उनकी विचारधारा पर भी विचार करने को मजबूर कर देगी.