नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि बीते साल अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मध्यम और गंभीर रोगियों के इलाज के लिए रेमडेसिविर (Remdesivir) और ऑक्सीजन जैसी जीवन रक्षक दवाओं की मांग बढ़ गई थी।
गृह मंत्रालय 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान रोगियों के बेहतर इलाज के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से समन्वय किया गया था। मध्यम और गंभीर रोगियों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न हितधारकों से भी बातचीत हुई थी।
गृह मंत्रालय ने उठाए कई कदम
रिपोर्ट में कहा गया, ‘अप्रैल 2021 से कोरोना के मामलों की रफ्तार बढ़ रही थी। इसके चलते कोविड रोगियों के इलाज के लिए मेडिकल ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाओं की मांग बढ़ गई थी।’ गृह मंत्रालय ने बताया कि उसने आवश्यक मेडिकल ऑक्सीजन के साथ-साथ रेमडेसिविर समेत जीवन रक्षक दवाओं की पर्याप्त और लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि मंत्रालय ने प्लांट से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति और बिना रुकावट आवाजाही के लिए समन्वय किया। इसके अलावा औद्योगिक उद्देश्य के लिए मेडिकल ऑक्सीजन के उपयोग को प्रतिबंधित करने के आदेश जारी किए।
विदेश से एयरलिफ्ट किए गए बड़े टैंक- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया कि गृह मंत्रालय ने स्वीकृत आवंटन योजना के अनुसार देशभर में मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही की सुविधा प्रदान की। रेमडेसिविर और अन्य जरूरी दवाइयों की आपूर्ति के लिए भारतीय वायुसेना के जरिए विदेश से उच्च क्षमता वाले टैंक लाए गए। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जिला कलेक्टरों को बंद पड़े ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट को फिर से शुरू करने की सलाह दी गई। इन प्रयासों से जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।
दिल्ली में तैयार किया एक हजार बेड का अस्पताल
मंत्रालय ने बताया कि जून 2020 में दिल्ली में कोरोना के मामलों में अचानक तेजी के बाद 1000 बिस्तरों वाला अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया। इसके अगले साल अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पताल को फिर शुरू किया गया था। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने बिहार के पटना और मुजफ्फरनगर में 500 बेड का अस्पताल और नौ राज्यों में 16 आरटीपीसीआर लैब स्थापित करने में मदद की।