रायपुर। नान मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर आरोप लगे कि उन्होंने जज से मुलाकात की थी। इन आरोपों पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए मुख्यमंत्री ने जवाब दिया है। CM बघेल ने इन आरोपों को झूठा बताया। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कह दिया है कि अब इस मामले का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
CM बघेल ने ट्वीट करते हुए इस मामले में बयान दिया – यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि सॉलिसिटर जनरल जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति राजनीतिक उद्देश्यों से झूठे एवं शरारत पूर्ण आरोप लगा रहा है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कभी किसी जज से मिलकर किसी भी अभियुक्त के लिए किसी भी प्रकार का फेवर करने का अनुरोध नहीं किया। यह मेरी राजनीतिक छवि खराब करने एवं न्याय पालिक को दबाव में लाने का षड्यंत्र है जिसका समुचित प्रतिकार किया जाएगा।
ये है पूरा मामला
5 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश के चर्चित नान घोटाले मामले में सुनवाई हुई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुनवाई हुई। ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए कहा कि उनके एक कथित करीबी सहयोगी की व्हाट्सएप चैट से पता चला है कि नान घोटाला मामले के कुछ आरोपियों को जमानत मंजूर करने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री एक न्यायाधीश से मिले थे। ये जज बिलासपुर हाईकोर्ट से संबंधित बताए जा रहे हैं।
14 नवंबर तक सुनवाई स्थगित
सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी, ‘‘हमने जानकारी ली है। मुख्यमंत्री ने कभी भी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से मुलाकात नहीं की।’’ प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट की पीठ ने इस मामले में सुनवाई आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया, इसे 14 नवम्बर से शुरू हो रहे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
क्या है नान मामला
दरअसल छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम के जरिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन होता है। एंटी करप्शन और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय सहित अधिकारियों-कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। वहां से करोड़ों रुपए कैश, कथित भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, डायरी, कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क समेत कई दस्तावेज मिले। आरोप था, राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वत ली गई। चावल के भंडारण और परिवहन में भी भ्रष्टाचार किया गया। शुरुआत में शिवशंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला चला। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी का नाम भी आरोपियों की सूची में शामिल हो गया। इस मामले में दो IAS अफसर भी आरोपी थे। मामला अदालत में चल रहा है। बड़े अफसर बाहर हैं, कुछ छोटे कर्मचारी जेल में।