रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को बालवाड़ी योजना की शुरुआत की। स्कूल शिक्षा विभाग की बालवाड़ी योजना, पांच से छः वर्ष तक की आयु वाले बच्चों के लिए शुरू की गई है। इसकी थीम “जाबो बालवाड़ी, बढ़ाबो शिक्षा के गाड़ी’ बनाई गई है। प्रदेश भर में पांच हजार 173 बालवाड़ियों के साथ इसकी शुरुआत की गई है। अगले वर्षों में और भी बालवाड़ी खोली जाएंगी।
अधिकारियों ने बताया, बच्चों के लिए प्रत्येक बालवाड़ी में आंगनबाड़ी सहायिका के अतिरिक्त संबद्ध प्राथमिक शाला के एक सहायक शिक्षक को भी तैनात किया जाना है। इसके लिए सहायक शिक्षक को हर महीने 500 रुपए का अतिरिक्त मानदेय भी दिया जाएगा। बच्चों को खेल-खेल में रोचक तरीके से पढ़ाने के लिए आंगनबाड़ी सहायिका और शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। प्रत्येक बालवाड़ी के लिए बच्चों के अनुकूल फर्नीचर, खेल सामग्री एवं प्रिंटरीच रंग-रोगन के लिए एक लाख रुपए की स्वीकृति भी प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान में पाया है कि मनुष्य के मस्तिष्क का 85% विकास बचपन में ही हो जाता है। एक बच्चा अपने प्रारंभिक वर्षों में जो सीखता है, वही चीजें स्कूल में और आगे जीवन में उसकी मदद करती हैं। शिक्षण की शुरुआत तभी हो जानी चाहिए, जब बच्चों का मस्तिष्क तैयार हो रहा हो।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा, बालवाड़ी योजना का उद्देश्य बच्चों के मानसिक,सामाजिक,मनोवैज्ञानिक एवं संज्ञानात्मक विकास करने एक लिए एक शिक्षण-सेतु तैयार करना है। ताकि पांच से छह वर्ष की उम्र में जब बच्चे पहली कक्षा में जाएं तो वह उसके लिए पूरी तरह तैयार हो चुके हों।
अभी स्कूलों में मौजूद आंगनबाड़ी को बदला गया है
अधिकारियों ने बताया, नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को बुनियादी अक्षर और संख्या ज्ञान कराने के लिए बालवाड़ी शुरू हुई है। मुख्यमंत्री ने इस साल गणतंत्र दिवस पर ही इस योजना की घोषणा की थी। अभी फिलहाल ऐसी आंगनबाड़ियों को बालवाड़ी में बदला गया है जो किसी स्कूल परिसर में स्थित हैं। प्रदेश में ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या छह हजार 536 है। उनमें से पांच हजार 173 को बालवाड़ी में बदल दिया गया है। अनुमान है कि इसमें करीब 60 हजार बच्चों को फायदा पहुंचेगा।