नई दिल्ली। नीतीश कुमार आज दिल्ली दौरे पर आ सकते हैं। तीन दिन के दौरे में वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार जैसे विपक्ष के नेताओं से मुलाकात करेंगे। इससे पहले बिहार में जदयू की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस दौरान ही नीतीश कुमार ने दिल्ली की ओर बढ़ने का बड़ा इशारा दिया था।
एनडीए से अलग होने के बाद से नीतीश लगातार विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं। इसके साथ ही वह विपक्ष के नेताओं से बातचीत भी कर रहे हैं। दिल्ली दौरे से पहले उनकी मुलाकात तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से हो चुकी है। केसीआर भी विपक्ष को एकजुट करने के लिए नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव जैसे नेताओं से मिल चुके हैं।
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी केसीआर, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव समेत कई नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं। इन सब नेताओं के बीच दो समानताएं है। पहला यह कि ये सभी लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देना चाहते हैं। दूसरा यह कि ये सभी कांग्रेस को लेकर असमंजस में हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या देश में तीसरे मोर्चे का गठन होगा? कैसे विपक्ष एकजुट होगा? क्या विपक्षी एकता से कांग्रेस को दूर रखा जाएगा? आखिर क्या है विपक्ष के इन दलों की नई रणनीति जिसके जरिए वह भाजपा को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं? आइए समझते हैं…
ममता बनर्जी, राजेशपति और ललितेश पति त्रिपाठी
पहले पिछले छह महीने के घटनाक्रम पर नजर डाल लेते हैं
कांग्रेस के कई नेताओं को टीएमसी में शामिल करा चुकी हैं ममता: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं राजेशपति त्रिपाठी और ललितेशपति त्रिपाठी टीएमसी में शामिल हो गए। ललितेश दो बार कांग्रेस से विधायक रहे। उनका पूरा परिवार शुरू से ही कांग्रेसी रहा। दादा पं. कमलापति त्रिपाठी केंद्रीय मंत्री रहे। केवल यूपी ही नहीं, मणिपुर, असम, गोवा और पंजाब समेत कई राज्यों में कांग्रेस के बड़े नेताओं को ममता टीएमसी में शामिल करा चुकी हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ केसीआर
केसीआर लगातार कर रहे विपक्ष के नेताओं से मुलाकात
बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद केसीआर पटना आए। यहां उन्होंने नीतीश कुमार और तेजस्वी से मुलाकात की। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश, केसीआर और तेजस्वी ने साफ कहा कि वह विपक्ष को एकजुट करेंगे ताकि 2024 में भाजपा को सरकार बनाने से रोका जा सके।
केसीआर दक्षिण के राजनीतिक पार्टियों को भी एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। वह कर्नाटक की जनता दल (सेक्यूलर) के मुखिया एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात कर चुके हैं। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से भी केसीआर मिल चुके हैं।
शरद पवार और ममता बनर्जी
शरद पवार भी जुटे हैं इसी मुहिम में
एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए माहौल बनाने में जुट गए हैं। पवार ने बीते 31 अगस्त को हरियाणा के कुछ नेताओं को एनसीपी में शामिल कराया। यहां उन्होंने किसानों की बात की और ये भी कहा कि एनसीपी विपक्षी गठबंधन के तहत न्यूनतम साझा कार्यक्रम के जरिए भाजपा के खिलाफ 2024 में लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। शरद पवार भी ममता बनर्जी, केसीआर, तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं से मिल चुके हैं।
राहुल गांधी – फोटो : ANI
राहुल कर रहे नए सिरे से कांग्रेस को खड़ा करने की बात
कांग्रेस भी नई जंग के लिए तैयार होने लगी है। रविवार को महंगाई हटाओ रैली में राहुल गांधी ने इसका इशारा भी कर दिया। राहुल ने साफ कर दिया है कि जो नेता पार्टी छोड़कर जाना चाहते हैं, वो जाएं। अब नए सिरे से वह कांग्रेस को खड़ी करेंगे।
सोनिया गांधी-राहुल गांधी। – फोटो : सोशल मीडिया
क्या कांग्रेस को छोड़कर बनेगा तीसरा मोर्चा?
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। कांग्रेस के पुराने और तेज नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। जो हैं, वो भी साइड लाइन हैं। पार्टी लगातार चुनाव हार रही है। अब केवल दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है।’
प्रमोद आगे कहते हैं, ‘विपक्षी पार्टियों को ये लगता है कि कांग्रेस की जमीन धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। कांग्रेस के पास मजबूत संगठन नहीं बचा है। जो नेता चुनाव जीत रहे हैं, वो अपने दम पर या क्षेत्रीय कारणों से जीत रहे हैं। विपक्ष के अन्य छोटे दल ये भांप चुके हैं। यही कारण है कि ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस के अच्छे नेताओं को तोड़कर खुद को मजबूत बना रहे हैं। ताकि आने वाले लोकसभा और अन्य विधानसभा चुनावों में वह भाजपा से मुकाबला कर सकें।’
सोनिया गांधी और राहुल गांधी
प्रमोद ये भी कहते हैं कि अभी विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की लंबी लिस्ट बनती जा रही है। केसीआर, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार सभी प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हैं। इसलिए ये सभी छोटे और क्षेत्रीय दल खुद खेमेबंदी कर रहे हैं। मतलब ज्यादा से ज्यादा समर्थन हासिल करने की कोशिश। ऐसे में संभव है कि लोकसभा चुनाव आते-आते विपक्ष के ये दल न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत तीसरे मोर्चे का गठन करें। तय करें कि अगर चुनाव के बाद विपक्ष सरकार बनाने की स्थिति में होती है, तो प्रधानमंत्री उस दल का होगा, जिसके पास ज्यादा सदस्यों और राजनीतिक दलों का समर्थन होगा। प्रमोद कहते हैं, ‘शरद पवार कई बार इस ओर इशारा भी कर चुके हैं। केसीआर और नीतीश कुमार भी इस मसले पर बोल चुके हैं। ऐसे में काफी हद तक तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना है और कांग्रेस को विपक्षी एकता से दूर रखने के भी आसार हैं।’
भाजपा के खिलाफ क्या है रणनीति?
प्रमोद बताते हैं, विपक्ष के इन दलों ने अभी से भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इनकी कोशिश यही है कि अभी किसी तरह भाजपा को घेरा जाए। सरकार के फैसलों का विरोध, महंगाई, रोजगार, विदेश नीति का मुद्दा उठाया जाए। इसके जरिए वह लगातार जनता के संपर्क में रहने का प्रयास कर रहे हैं। अभी ज्यादातर दल अपने-अपने स्तर से ये काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में संभव है कि देशभर में एकसाथ मिलकर ये दल अपनी शक्ति का प्रचार करें।