रायपुर। राज्यभर के दस हजार से ज्यादा बीपीटी कोर्स करने वाले छात्रों को 21 साल से सरकारी नौकरी नहीं मिली है। राज्य बनने के बाद से अब तक प्रदेश में फिजियोथैरेपी काउंसिल तक का गठन नहीं किया गया है।
बीपीटी कोर्स वालों की भर्ती के लिए सरकारी अस्पतालों में विभागीय सेटअप तक नहीं बनाया गया है। किसी भी सरकार ने एक बार भी सरकारी अस्पतालों में फिजियोथैरेपिस्ट की भर्ती के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया। इस वजह से बीपीटी यानी बैचलर आफ फिजियोथैरेपी कोर्स का बुरा हाल है। बीपीटी करने वाले ज्यादातर छात्र नौकरी की तलाश कर रहे हैं। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने कम सैलरी में प्राइवेट अस्पताल ज्वाइन कर लिया है।
कुछ खुद के सेंटर संभाल रहे हैं। सरकारी नौकरी नहीं मिलने की वजह से राज्यभर में बीपीटी और एमपीटी कोर्स करने वाले छात्रों की संख्या हर साल कम हो रही है। राजधानी के सरकारी फिजियोथैरेपी कॉलेज में 30 सीटें हैं, लेकिन पिछले 10 साल में एक भी बार पूरी सीटें नहीं भर पाई हैं।
छत्तीसगढ़ में 2001 में बीपीटी की पढ़ाई शुरु हुई थी। तब से अब तक 10 हजार से ज्यादा छात्र इस कोर्स को कर चुके हैं। इनमें से किसी को भी सरकारी नौकरी नहीं मिली है। इसका सबसे बड़ा कारण अस्पतालों में इन पदों को विभागीय सेटअप में शामिल ही नहीं किया गया। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अंबेडकर अस्पताल में अभी भी केवल 2 से 3 फिजियोथैरेपिस्ट ही काम कर रहे हैं।
हड्डी व दूसरी बीमारियों के इलाज में बेहद जरूरी
हड्डी फ्रैक्चर, लकवा समेत दूसरी बीमारियों में फिजियोथैरेपी बेहद जरूरी है। अंबेडकर अस्पताल में हड्डी रोग विभाग के एचओडी डॉ. सत्येंद्र फुलझेले का कहना है कि हड्डियों में जकड़न व बड़ी सर्जरी के बाद फिजियोथैरेपी कराना जरूरी है। ऐसी स्थिति में दवा के बजाय फिजियोथैरेपी काम आता है। गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति जायसवाल का कहना है कि डिलिवरी के पहले व बाद में फिजियोथैरेपी से काफी फायदा मिलता है।
छात्र नहीं मिले, इसलिए चार कॉलेज बंद हो गए
बैचलर आफ फिजियोथैरेपी छात्रों की दिलचस्पी लगातार कम होने की वजह से पिछले 10 साल में 4 फिजियोथैरेपी कॉलेज बंद हो चुके हैं। इनमें दो रायपुर व दो बिलासपुर के कॉलेज हैं। वर्तमान में एक सरकारी व तीन निजी फिजियोथैरेपी कॉलेज का ही संचालन हो रहा है। इनमें भी हर साल पूरी सीटें नहीं भर पाती हैं। कॉलेज संचालन के लिए सभी छात्रों की फीस नहीं मिलने की वजह से कॉलेज चलाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसलिए कॉलेज बंद हो रहे।
जनसंस्थाओं में भी नहीं होती नियुक्ति क्योंकि शुल्क कम
राजधानी में 40 से ज्यादा धर्मार्थ अस्पताल हैं, जो केवल 5 से 10 रुपए में फिजियोथैरेपिस्ट उपलब्ध करवा रहे हैं। कुछ सेंटरों में 250 से 350 रुपए शुल्क भी लिया जा रहा है। एक ही संस्था या लोगों के कई फिजियोथैरेपी सेंटर हैं। इनमें ऐसे कर्मचारी रखे जाते हैं जो फिजियोथैरेपिस्ट भी नहीं होते। खर्चा बचाने के लिए अधिकृत फिजियोथैरेपिस्ट नहीं रखे जाते, इस वजह से इन संस्थाओं में भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है।
फिजियोथैरेपी इसलिए जरूरी
- नार्मल डिलीवरी के लिए।
- शारीरिक फिटनेस के लिए
- कमर, घुटना, सिर दर्द दूर करने।
- बीमारी को जड़ से खत्म करने।
- शरीर की जकड़न दूर करने।