छत्तीसगढ़ः दूसरे राज्यों के शराबबंदी मॉडल को देखने जाएगा विधायकों का दल, 11 सितंबर से गुजरात, आंध्र प्रदेश और एक आदिवासी बहुल राज्य में जाने का फैसला

पूर्ण शराबबंदी के फैसले से पहले सरकार दो समितियों से सुझाव मंगाने की कवायद कर रही है। - Dainik Bhaskar

रायपुर।छत्तीसगढ़ के विधायकों का दल दूसरे राज्यों के शराबबंदी मॉडल को देखने जाएगा। इसके लिए गुजरात, आंध्र प्रदेश का नाम चुना गया है। एक आदिवासी बहुल राज्य में भी ऐसा अध्ययन किया जाना है, लेकिन अभी तक उसका नाम तय नहीं हो पाया। योजना है कि अध्ययन दल 11 सितम्बर से इस दौरे पर रवाना हो जाए। हांलाकि यह इस बात पर निर्भर है कि संबंधित राज्य सरकार दौरे की अनुमति कब देती है।

कांग्रेस ने 2018 के चुनावी घोषणापत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। बाद में इसका फैसला करने के लिए दो समितियां बनीं। एक समाज प्रमुखों की बनी है और दूसरी विधायकों की एक सर्वदलीय समिति। इसमें कांग्रेस और बसपा के विधायक शामिल हैं। भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने इस समिति में आने से इनकार कर रखा है। विधायकों की समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने मंगलवार को बैठक की।

इसमें कहा गया, पूर्ण शराबबंदी के लिए की जाने वाली आवश्यक तैयारी के अध्ययन के लिए दल का गठन किया जाएगा। अध्ययन दल अन्य राज्यों जहां वर्तमान में पूर्ण शराब बंदी लागू है, ऐसे राज्य जहां पूर्ण शराब बंदी लागू थी, किन्तु बाद में शराब का विक्रय पुनः प्रारंभ किया गया तथा देश के एक अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्य का अध्ययन भ्रमण कर रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके लिए संबंधित राज्यों से पत्राचार कर अनुमति ली जाएगी। अनुमति मिलने पर अध्ययन भ्रमण के लिए कार्यक्रम बनाया जाएगा। समिति की यह तीसरी बैठक थी। अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने समिति को बताया कि भाजपा और जकांछ ने लिखित रूप से समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। बैठक में संसदीय सचिव रश्मि सिंह, शिशुपाल सोरी, कुंवर सिंह निषाद, विधायक केशव चंद्रा, उत्तरी जांगड़े, संगीता सिन्हा, द्वारकाधीश यादव, धनेश्वर साहू और पुरुषोत्तम कंवर सहित आबकारी विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।

चार तरह के राज्यों का अध्ययन कराएगी सरकार

एक चर्चा में बताया गया, शराबबंदी लागू करने से पहले हम चार तरह के क्षेत्रों का अध्ययन करना चाहते हैं। पहला ऐसा राज्य जहां पूर्ण शराबबंदी लागू है। इसके लिए गुजरात को चुना गया है। एक ऐसे राज्य का भी अध्ययन करना जरूरी लग रहा है जहां शराबबंदी थी लेकिन बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया। इसके लिए आंध्र प्रदेश को चुना गया है। एक ऐसे राज्य का भी अध्ययन होगा जहां शराब पर प्रतिबंध नहीं है। उसके साथ ही आदिवासी बहुल राज्य का अध्ययन होगा ताकि हम अपने आदिवासी क्षेत्रों के लिए कोई बेहतर विकल्प पेश कर सकें।

फिलहाल शराब को हतोत्साहित करने पर ही जोर

पूर्ण शराबबंदी के फैसले पर पहुंचने से पहले समिति का जोर शराब बिक्री को हतोत्साहित करने पर दिखा। विधायकों ने अवैध शराब पर प्रभावी नियंत्रण की बात कही। कहा गया, अवैध शराब जब्त करते समय बनाये जाने वाले पंचनामे पर संबंधित गांव के सरपंच, ग्राम पटेल, कोतवाल तथा समाज प्रमुख/प्रबुद्ध नागरिकों का हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से कराया जाए। शराब दुकानों में सीसीटीवी कैमरा चालू रखा जाए। वहीं शराब के अलावा अन्य वैकल्पिक मादक पदार्थों पर नियंत्रण के लिए कार्रवाई की जाए। आबकारी विभाग के टोल फ्री नंबर 14405 पर मिली शिकायतों का तुरंत निराकरण करने की बात भी कही गई।