
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना के पीड़ितों के इलाज के लिए कैशलेस योजना में देरी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि आप बड़े-बड़े राजमार्ग बना रहे हैं, लेकिन वहां सुविधाओं के अभाव में लोग मर रहे हैं। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि 8 जनवरी के आदेश के बावजूद केंद्र न तो निर्देश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की। शीर्ष अदालत ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164ए को 1 अप्रैल, 2022 को तीन साल की अवधि के लिए लागू किया गया था। लेकिन केंद्र ने दावेदारों को अंतरिम राहत देने के लिए योजना बनाकर इसे लागू नहीं किया।
पीठ ने सवाल करते हुए कहा, आप अवमानना कर रहे हैं। आपने समय बढ़ाने की मांग करने की जहमत नहीं उठाई। यह क्या हो रहा है? आप हमें बताएं कि आप योजना कब बनाएंगे? आपको अपने खुद के कानूनों की परवाह नहीं है। यह कल्याणकारी प्रावधानों में से एक है। इस प्रावधान को लागू हुए तीन साल हो गए हैं। क्या आप वाकई आम आदमी के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं?
मंत्रालय के सचिव से किए सवाल
शीर्ष अदालत ने सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव से आगे सवाल किया, क्या आप इतने लापरवाह हो सकते हैं? क्या आप इस प्रावधान के बारे में गंभीर नहीं हैं? लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं। आप बड़े-बड़े राजमार्ग बना रहे हैं, लेकिन लोग वहां मर रहे हैं क्योंकि वहां कोई सुविधा नहीं है। गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट के लिए कोई योजना नहीं है। इतने सारे राजमार्ग बनाने का क्या फायदा है? मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2 (12-ए) के तहत गोल्डन ऑवर से आशय एक घंटे की अवधि से है, जिसके तहत समय पर इलाज मुहैया कराकर मृत्यु को रोका जा सकता है।
सचिव बोले, मसौदा योजना तैयार
शीर्ष अदालत ने यह बताने के लिए अधिकारियों को तलब किया था कि योजना बनाने में देरी की वजह क्या है। सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव ने अदालत को बताया कि एक मसौदा योजना तैयार की गई थी, लेकिन जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) की ओर से आपत्ति जताए जाने के कारण इसमें बाधा उत्पन्न हो गई। उन्होंने कहा कि जीआईसी का रवैया सहयोगात्मक नहीं रहा है। इसने तर्क दिया है कि उसे दुर्घटना में शामिल मोटर वाहन की बीमा पॉलिसी की स्थिति की जांच करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
एक हफ्ते में गोल्डन ऑवर योजना
शीर्ष अदालत ने इस दलील को रिकॉर्ड पर लिया कि गोल्डन ऑवर योजना सोमवार से एक सप्ताह के भीतर लागू कर दी जाएगी। इसके बाद पीठ ने अधिसूचित योजना को 9 मई तक रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 13 मई को तय की। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 8 जनवरी को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह मोटर दुर्घटना पीड़ितों के लिए कानून के तहत निर्धारित गोल्डन ऑवर अवधि में कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना तैयार करे।