नई दिल्ली/पटना। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने मुंबई पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस का इस केस पर काम करने का तरीका शक-सुबहा पैदा करता है। हालांकि, उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट पर कुछ भी बोलने से परहेज करते हुए कहा कि सीबीआई पेशेवर एजेंसी है।
बिहार के तत्कालीन डीजीपी ने कहा, ‘सुशांत की मौत की खबर आने के महज 20 दिनों के अंदर मामला शांत हो गया। इसके बाद सुशांत के पिता के पटना में मामला दर्ज कराने के बाद शुरुआती जांच के लिए बिहार पुलिस की टीम मुंबई भेजी गई, लेकिन मुंबई पुलिस ने बिहार की टीम के साथ सहयोग नहीं किया।’ उन्होंने दावा किया कि जांच में बेहतर समन्वय के लिए उनके भेजे एक आईपीएस अधिकारी को क्वारंटीन कर दिया गया और महज पांच दिनों बाद उनकी टीम को वापस भेज दिया गया।
पांडे ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी सुशांत की हत्या का दावा नहीं किया था। उन्होंने मौत को संदिग्ध बताते हुए बस गहन जांच चाही थी। उन्होंने आगे कहा, मुझे किसी के खिलाफ पक्षपात करने की जरूरत नहीं है, लेकिन उस दौरान किए गए मुंबई पुलिस के आचरण से देश के लोगों के मन में शक पैदा हुआ।

सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी
इससे पहले बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 22 मार्च को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। मामले में पांच साल बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी। रिपोर्ट दो मामलों में दाखिल हुई है, जिनमें से एक सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला है, जिसकी शिकायत सुशांत के पिता केके सिंह ने पटना में दर्ज कराई थी। दूसरा मामला ड्रग प्रिस्क्रिप्शन का है, जो सुशांत की कथित प्रेमिका रिया चक्रवर्ती ने सुशांत की बहन के खिलाफ दर्ज कराई थी।

भाजपा ने भी तत्कालीन उद्धव सरकार को घेरा था
मामले में भाजपा ने तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया था। भाजपा नेता राम कदम ने कहा था, ‘जब पूरा देश सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग कर रहा था, तब उद्धव ठाकरे सरकार ने जानबूझकर लापरवाही बरती। जब बिहार पुलिस जांच के लिए मुंबई आई, तो उन्हें भी रोक दिया गया था। क्या वजह थी?’

भाजपा ने नेता बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार के लोगों को बचाने के लिए सभी सबूत मिटा दिए गए। सुशांत के घर का फर्नीचर हटा दिया गया, उसकी रंगाई-पुताई की गई और उसे उसके असली मालिक को लौटा दिया गया। इन सभी बिंदुओं का क्या अर्थ है? ऐसा क्या कारण है कि दिशा सालियान के पिता को ऐसा लग रहा है कि उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला?
भाजपा नेता राम कदम ने कहा था, ‘इन सबके पीछे उद्धव ठाकरे सरकार और उनके करीबी लोगों को बचाने की हिमाकत है। अगर उद्धव ठाकरे ने सही समय पर केस सीबीआई को सौंप दिया होता, तो सुशांत के परिवार को न्याय जरूर मिलता। अगर आज उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है, तो इसके लिए उद्धव ठाकरे सरकार जिम्मेदार है।’

14 जून 2020 को अपने घर में मृत मिले थे सुशांत
सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को मुंबई के बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में फांसी के फंदे पर झूलते पाए गए थे। मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या माना था और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी दम घुटने से मौत की बात कही गई थी। हालांकि, सुशांत की मौत को लेकर कई साजिशों के दावे किए गए और मीडिया में यह मामला काफी चर्चा में रहा था।