छत्तीसगढ़: APL को BPL बनाकर करोड़ों का घोटाला, 2 साल तक 1355 कार्ड से निकाले चावल; सुशांत शुक्ला ने विधानसभा में उठाया मामला

बिलासपुर । बिलासपुर में सरकारी चावल हड़पने के लिए खाद्य विभाग में APL (अबोव पावर्टी लाइन) को BPL (बिलो पावर्टी लाइन) राशन कार्ड बना दिया गया। 2 साल तक 1355 कार्ड से चावल का आवंटन कर करोड़ों की हेराफेरी की गई। इस मामले में फूड कंट्रोलर की भूमिका पर सवाल उठाए गए। लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ।

बेलतरा से बीजेपी विधायक सुशांत शुक्ला ने मामला विधानसभा में उठाया, अधिकारियों के गोलमोल जानकारी देने और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल के जवाब पर आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि संबंधित विभाग के दोषी और जिम्मेदार अधिकारी के बजाए दूसरे अफसरों से जांच कराई जाए। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने दूसरे अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए।

दरअसल, नगर निगम क्षेत्र के कई दुकानों में उचित मूल्य की दुकानों में चावल में गड़बड़ी हुई, तब इस फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ। इस दौरान जिस दुकान में चावल में हेराफेरी की गई है, उसी दुकान में फूड विभाग के अफसरों ने दूसरी दुकानों को भी अटैच कर दिया, ताकि फर्जी राशन कार्ड से चावल उठाव किया जा सके।

शुरुआती जांच में पता चला कि फर्जीवाड़ा कर बड़ी संख्या में कार्ड बनाए गए हैं। इसमें खास बात यह है कि जिनका कार्ड बनाया गया है, उन उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी तक नहीं है। इस गड़बड़ी में विभाग के खाद्य नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका है।

APL कार्ड को BPL बनाकर की हेराफेरी

खाद्य विभाग में APL राशन कार्ड को BPL राशन कार्ड बनाने का मामला तब सामने आया, जब वास्तविक कार्डधारियों को इसकी जानकारी हुई। पहले उन्हें पता ही नहीं था कि उनके नाम पर BPL कार्ड बन गया है। इस तरह से एक नहीं। बल्कि सैकड़ों की संख्या में राशनकार्ड हैं, जिसे APL से बदल कर BPL राशन कार्ड बना दिया गया।

विभाग के जानकारों का कहना है कि APL से BPL राशन कार्ड बनाना फूड कंट्रोलर की आईडी लॉगिन से ही संभव है। साल 2022 में एपीएल कार्ड को बीपीएल राशन कार्ड बनाने की बात कही जा रही है। सरकार बदलने के बाद ये फर्जीवाड़ा सामने आया है।

अब मामला सामने आने पर विभाग के अफसर इसकी जांच कराने की बात कहते रहे। चूंकि, इस गड़बड़ी में खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया की मिलीभगत की आशंका थी। लिहाजा, जांच के नाम पर केवल लीपापोती की गई और किसी भी जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।

खाद्य अधिकारी जारी करते हैं ID

राशन कार्ड बनाने में फर्जीवाड़ा करने वाले मास्टरमाइंड को खाद्य विभाग से आईडी RC 8841 जारी हुई थी। यह आईडी सिर्फ खाद्य विभाग से खाद्य अधिकारी के अनुमति से ही जारी हो सकता है। इस आईडी से राशनकार्ड से जुड़े कोई भी काम खाद्य अधिकारी की आईडी में दर्ज हो जाता है। इसका सीधा मतलब है कि खाद्य अधिकारी को इस राशनकार्ड आईडी से जुड़ी हर बातें पता थी।

इसलिए जब शासकीय राशन दुकान किसी अन्य संस्था को मिला तो पुराने राशन दुकानदार और खाद्य अधिकारी दोनों ही पोल पट्टी खुलने के डर से राशन कार्ड आईडी RC 8841 से मिटा दिया गया।

करोड़ों रुपए के चावल की हुई अफरातफरी

विभाग के जानकार बताते हैं कि खाद्य विभाग 1355 राशन कार्ड पर लंबे समय से चावल का आवंटन करता रहा। दावा किया जा रहा है कि इस दौरान करोड़ों रुपए कीमती हजारों क्विंटल चावल का बंदरबाट किया गया और शासन को चूना लगाया गया। लेकिन, जैसे ही फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, पूरी गड़बड़ी को छिपाने के लिए सिर्फ 2 रात में 1355 राशन कार्ड को निरस्त कर दिया गया। लेकिन, इसकी जांच ही नहीं कराई गई।

राइस मिलर को बेचा सरकारी चावल

विभागीय सूत्र बताते हैं कि इन फर्जी राशन कार्ड पर अपने लोगों का आधार कार्ड जोड़कर नॉमिनी बना दिया गया। फिर उस नॉमिनी से बायोमेट्रिक मशीन में अंगूठा लगाकर सारे राशन आहरण कर उसे राइस मिलर्स को बेचा गया।

राइस मिलर उसी चावल को नागरिक आपूर्ति निगम में जमा कराकर फिर से उसे सरकारी राशन दुकानों में पहुंचाया। इस तरह से शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जाता रहा।

जांच के लिए रायपुर से पहुंची टीम फिर भी नहीं हुआ एक्शन

जब मामला सामने आया, तब जांच के लिए रायपुर से टीम गठित की गई। टीम के सदस्य इस दौरान केवल बंद कमरों में जांच करते रहे। उन्होंने इसकी सच्चाई जानने तक की कोशिश नहीं की। जिसके बाद लीपापोती कर रायपुर लौट गई।

जांच टीम ने जिस आईडी RC 8841 से राशन कार्ड जारी की थी। वह किसके नाम से जारी हुआ था। इसकी कोई जानकारी ही नहीं जुटाई। जबकि, इसका पूरा रिकॉर्ड खाद्य अधिकारी के पास रहता है।

आईडी और IP एड्रेस में उपलब्ध है पूरी जानकारी

विभाग के जानकारों का दावा है कि फर्जीवाड़ा उजागर होने बाद भी मामले में किसी तरह की FIR नहीं कराई गई, जिससे जांच पर सवाल उठ रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि विभाग के पास उपलब्ध आईडी और सर्वर के आईपी एड्रेस में पूरी जानकारी उपलब्ध है, अगर सही तरीके से जांच की जाएगी तो पूरा घोटाला सामने जा आ जाएगा।

MLA बोले- बगैर दस्तावेज प्रमाणीकरण के बने 57 राशन कार्ड

खाद्य मंत्री के जवाब पर आपत्ति जताते हुए विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा कि खाद्य विभाग ने सदन को गुमराह किया है। उनके पास जो दस्तावेज है, उसके मुताबिक 57 राशन कार्ड बगैर दस्तावेज प्रमाणीकरण के बनाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में प्रधानमंत्री खाद्यान्न सुरक्षा योजना के तहत 170 उचित मूल्य की दुकानों में 50 से अधिक फर्जी राशन कार्ड बनाकर चावल का आवंटन कर फर्जीवाड़ा किया गया है।

सागर में रातों रात डिलीट हुआ राशन कार्ड

विधायक शुक्ला ने विधानसभा में कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फर्जीवाड़ा उजागर होने पर मामले को दबाने के लिए रातों रात 1300 से अधिक राशन कार्ड को डिलीट किया गया है, जो राशन कार्ड डिलीट हुआ है, उसकी आईडी मध्यप्रदेश के सागर में खोली गई थी। खाद्य अफसरों की मिलीभगत के बिना यह कैसे संभव है।