रायपुर । छत्तीसगढ़ में बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों ने अपने आंदोलन के 26वें दिन दंडवत होकर यात्रा निकाली। राजधानी के माना चौक से शदाणी दरबार तक सड़कों में लेटते हुए ये विरोध यात्रा पूरी की।
सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षक 14 दिसंबर से अंबिकापुर से अनुनय यात्रा निकालकर रायपुर पहुंचे थे और 19 दिसंबर से नवा रायपुर के तूता धरना स्थल में प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अपनी मांगों की तरह सरकार का ध्यान खींचने के लिए दंडवत यात्रा निकाली जा रही है।
बर्खास्त शिक्षकों की मांगों को लेकर सरकार ने कमेटी जरूर बना दी है लेकिन ये कमेटी कब तक फैसला लेगी। इसकी कोई तारीख तय नहीं की गई है।
B.Ed मामले में जानिए अब तक क्या हुआ
- पहले निकाली गई अनुनय यात्रा
बीएड सहायक शिक्षकों ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की गई थी। रायपुर पहुंचने के बाद 19 दिसंबर से यात्रा धरने में बदल गई। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए पत्र भी भेजे।
धरना स्थल पर लगाया ब्लड डोनेशन कैंप
धरना प्रदर्शन शुरू होने के बाद, शिक्षकों ने 22 दिसंबर को धरना स्थल में ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाया। इस शिविर में शिक्षकों ने रक्तदान कर सरकार तक यह संदेश पहुंचाया कि वे समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इससे पहले सार्वजनिक मुंडन कराकर शिक्षक प्रदर्शन कर चुके हैं।
शिक्षकों ने कराया सामूहिक मुंडन
26 दिसंबर- आंदोलन में बैठे सहायक शिक्षकों ने अपनी मांगों की तरफ सरकार का ध्यान खींचने के लिए सामूहिक मुंडन कराया। पुरुषों के साथ महिला टीचर्स ने भी अपने बाल कटवाए। कहा, ये केवल बालों का त्याग नहीं बल्कि उनके भविष्य की पीड़ा और न्याय की आवाज है।
28 दिसंबर- आंदोलन पर बैठे शिक्षकों ने मुंडन के बाद यज्ञ और हवन करके प्रदर्शन किया। कहा कि,यदि हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो आगे सांकेतिक सामूहिक जल समाधि लेने को मजबूर होंगे।
29 दिसंबर- आदिवासी महिला शिक्षिकाओं ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2 घंटे तक बंगले के सामने मुलाकात के लिए डटे रहे।
30 दिसंबर –पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लेकर जल सत्याग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर अटल हैं। सरकार तक ये संदेश देना चाहते हैं कि सुशासन में हमारी नौकरी भी बचा ली जाए और समायोजन किया जाए।
1 जनवरी – सभी प्रदर्शनकारियों ने मिलकर माना स्थित बीजेपी कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर का घेराव कर दिया। यहां की प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
2 जनवरी – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया।
3 जनवरी – सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रशासनिक कमेटी बना दी है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में 5 अधिकारी शामिल हैं।
3 जनवरी – मांगे पूरी नहीं होने से नाराज सहायक शिक्षकों ने सामूहिक अनशन शुरू किया।
6 जनवरी – राज्य निर्वाचन आयोग जाकर मतदान बहिष्कार के लिए आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
7 जनवरी – शालेय शिक्षक संघ ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया
8 जनवरी – बीरगांव में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने आमसभा की और रैली निकाली
10 जनवरी – NCTE यानि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन की शवयात्रा निकालकर प्रदर्शन किया।
12 जनवरी – माना से शदाणी दरबार तक दंडवत यात्रा निकाली गई।