कीव। आज रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक हजार दिन पूरे हो गए हैं। यह युद्ध यूरोप का सबसे घातक संघर्ष बन चुका है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे बड़ा संकट है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्ध में अब तक एक दस लाख से अधिक लोग या तो मारे जा चुके हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। साल 2022 में शुरू हुए 21वीं सदी के इस घातक संघर्ष में यूक्रेन के शहर, कस्बे और गांव पूरी तरह तबाह हो गए हैं। जान-माल का नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है और युद्ध ग्रस्त देश से दिल दहला देने वाली खबरें सामने आई रही हैं। युद्ध के शुरू होने के बाद से यूक्रेन अब कहीं ज्यादा कमजोर हो गया है।
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघर्ष से परिचित लोगों ने बताया कि युद्ध में 80 हजार यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और चार लाख से अधिक घायल हुए हैं। वहीं पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, रूस के सैनिकों की मौत के आंकड़े अलग-अलग हैं। कुछ रिपोर्ट्स में मारे गए सैनिकों की संख्या करीब दो लाख तक और घायलों की संख्या चार लाख के आसपास बताई गई है। दोनों देशों की जनसंख्या पहले से ही घट रही थी और युद्ध से पहले से ही वह इस संकट का सामना कर रहे थे। युद्ध के कारण हुई भारी मौतों का दोनों देशों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों पर असर देखने को मिल रहा है।
युद्ध में मारे जा चुके 10 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मिशन के मुताबिक, अगस्त 2024 तक यूक्रेन में कम से कम 11,743 नागरिक मारे गए हैं और 24,614 घायल हुए हैं। यह आंकड़े असल में और अधिक हो सकते हैं, खासकर उन इलाकों में जहां रूस का कब्जा है, जैसे मारियोपोल। इसके अलावा, यूक्रेन में अब तक 589 बच्चे भी मारे जा चुके हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अग्रिम मोर्चों पर भीषण संघर्ष में हजारों लोग मारे गए हैं, जहां निरंतर तोपों की बौछार के बीच टैंक, आर्म्ड वाहन और थल सैनिक हमले कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों के आंकड़े को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गोपनीय रखते हैं और पश्चिमी देशों की खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर दिए गए अनुमानों में बहुत अंतर है। अनुमान हैं कि रूस को भी सैन्य हताहतों के मामले में भारी नुकसान हुआ है। भीषण युद्ध के दौरान रूस के एक दिन में ही एक हजार से अधिक सैनिक मारे गए हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने फरवरी 2024 में कहा था कि 31 हजार से अधिक यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं, जिसे विश्लेषक सही अनुमान मानते हैं।
खत्म हो गई यूक्रेन की 25 फीसदी आबादी
युद्ध के चलते यूक्रेन की जन्म दर ढाई साल पहले की तुलना में अब एक तिहाई रह गई है। करीब 40 लाख लोग यूक्रेन के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। जबकि 60 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक विदेश में शरण ले चुके हैं। युद्ध के कारण यूक्रेन की जनसंख्या में करीब एक करोड़ से अधिक लोगों की कमी आई है, जो इसकी जनसंख्या का लगभग एक चौथाई है। इसका मतलब है कि यूक्रेन की 25 फीसदी जनसंख्या खत्म हो गई। यूक्रेन की सरकार के अनुमान के मुताबिक युद्ध का दैनिक खर्च 140 मिलियन डॉलर से भी अधिक है। यूक्रेन ने 2025 के प्रस्तावित बजट में करीब 26 फीसदी यानी 53.3 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
युद्ध से यूक्रेनी अर्थव्यवस्था को हुआ भारी नुकसान
युद्ध के कारण यूक्रेन की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। 2022 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में 33 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि 2023 में यह स्थिति थोड़ा बेहतर हुई और नुकसान 22 फीसदी तक सीमित रहा। रॉयटर्स ने विश्व बैंक, यूरोपीय आयोग, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन सरकार के ताजा आकलन का हवाला देते हुए बताया कि अब तक, यूक्रेन की ओर से 152 अरब डॉलर का सीधा नुकसान रिपोर्ट किया गया है और पुनर्निर्माण की कुल लागत 486 अरब डॉलर के करीब होने का अनुमान है। युद्ध से सबसे ज्यादा आवास, परिवहन, वाणिज्य और उद्योग, उर्जा और कृषि क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
रूसी हमलों से यूक्रेन का उर्जा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित
यूक्रेन का उर्जा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि रूस लगातार यूक्रेन के दूरदराज के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है। इसके अलावा, यूक्रेन दुनिया के प्रमुख अनाज उत्पादक देशों में से एक है और युद्ध की शुरुआत में उसके निर्यात में रुकावट ने वैश्विक खाद्य संकट को और अधिक बढ़ा दिया था। हालांकि, अब यूक्रेन ने इस स्थिति से उबरने के उपाय खोजे हैं और निर्यात अब काफी हद तक फिर से बहाल हो गया है। उसने रूस की नाकेबंदी को दरकिनार करने के रास्ते निकाल लिए हैं।
यूक्रेन के करीब 1/5 हिस्से पर कब्जा कर चुका रूस
रॉयटर्स के मुताबिक, रूस अब यूक्रेन के लगभग एक पांचवें हिस्से पर कब्जा कर चुका है और उसे अपने नियंत्रण में ले चुका है, जो ग्रीस के आकार के बराबर है। रूस की सेना ने 2022 की शुरुआत में यूक्रेन के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण हिस्सों में धावा बोला था और उत्तर में कीव के बाहरी इलाकों तक पहुंच बनाई और दक्षिण में निप्रो नदी को पार किया। रूस ने यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र का लगभग पूरा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया है और दक्षिण में अजोव सागर के पूरे तट को अपने नियंत्रण में ले लिया है।
यूक्रेनी पहचान को नकारते रहे हैं पुतिन
यूक्रेन एक समय रूसी साम्राज्य का हिस्सा था और बाद में सोवियत संघ का भी हिस्सा रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई मौकों पर कहा है कि उनका मकसद यूक्रेन को फिर से रूस का हिस्सा बनाना है। पुतिन यूक्रेनी राज्य और पहचान को नकारते हुए दावा कर चुके हैं कि यूक्रेनी लोग असल में रूसी हैं। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने न सिर्फ लाखों लोगों की जान ली, बल्कि इसने दोनों देशों की जनसंख्या, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को गहराई से प्रभावित किया है। इस युद्ध ने एक नया वैश्विक संकट पैदा किया।