हिंगोली। महाराष्ट्र के हिंगोली में गृह मंत्री अमित शाह के हेलीकॉप्टर की तलाशी लिए जाने का मामला सामने आया है। चुनाव आयोग की फ्लाइंग स्क्वॉड ने अमित शाह के बैग और हेलीकॉप्टर की तलाशी ली। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान भी शाह के हेलीकॉप्टर की तलाशी ली गई थी। आयोग ने यह कार्रवाई बिहार के कटिहार में की थी। गौरतलब है कि बीते 12 नवंबर को उद्धव ठाकरे के हेलीकॉप्टर की दूसरी बार तलाशी होने पर विवाद हुआ था। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने अपनी नीतियों को स्पष्ट किया था।
चुनाव आयोग ने क्या बयान दिया?
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बैग की जांच मामले में बीते 12 नवंबर को चुनाव आयोग ने सूत्रों के हवाले से बयान जारी किया था। अधिकारियों की तरफ से निशाना बनाए जाने के आरोपों पर चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा था, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं के विमानों और हेलीकॉप्टरों की जांच की जाती है। आयोग के मुताबिक पिछले चुनावों के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के विमानों और हेलीकॉप्टरों की जांच भी की गई थी।
बिहार में जेपी नड्डा और शाह के हेलीकॉप्टरों की भी तलाशी हुई
आयोग के एक पदाधिकारी ने बताया, चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए एजेंसियां सख्त एसओपी का पालन करती हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान, बिहार में भी इसी तरह का मुद्दा उठाया गया था। आयोग स्पष्ट कर चुका है कि 24 अप्रैल को भागलपुर जिले में नड्डा सहित प्रमुख नेताओं के हेलीकॉप्टरों की जांच की गई थी। एसओपी के अनुसार 21 अप्रैल को कटिहार जिले में अमित शाह की जांच भी की गई थी।
सभी नेताओं के हेलीकॉप्टरों की तलाश के निर्देश
सूत्रों ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बयान को भी रेखांकित किया। आयोग ने याद दिलाया कि प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी प्रत्याशियों को समान अवसर मिले इसके लिए जरूरी सभी नेताओं के हेलीकॉप्टरों की जांच सुनिश्चित की जाए।
महाराष्ट्र के बड़े नेताओं की हो चुकी है तलाशी
बता दें कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग की टीम चुनाव प्रचार के दौरान कई नेताओं के बैग की तलाशी ले चुकी है। महाराष्ट्र में अब तक जिन नेताओं के बैग की तलाशी ली गई है, इसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे जैसे लोगों के नाम भी शामिल हैं।
देश की तीसरी सबसे बड़ी विधानसभा में सियासी समीकरण
महाराष्ट्र में इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लगभग 25 महीने पहले जून, 2022 में महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिरी थी। इसके बाद भाजपा समर्थित सरकार बनी। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो-फाड़ होने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार के पास 202 विधायकों का समर्थन है। 102 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। अजीत पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 40 विधायक हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 38 विधायक हैं। 14 निर्दलीय विधायकों ने भी एनडीए सरकार को समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को पांच अन्य छोटे दलों का समर्थन भी हासिल है।
महाराष्ट्र में विपक्षी खेमा कितना मजबूत
इसके अलावा विपक्षी खेमे (महाविकास अघाड़ी- MVA) में कुल 71 विधायक हैं। विपक्ष में कांग्रेस 37 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के 16 विधायक हैं। वरिष्ठ राजनेता शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के 12 विधायक हैं। समाजवादी पार्टी के दो, सीपीआईएम और पीडब्लूपीआई के एक-एक विधायक हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के दो विधायक भी विपक्षी खेमे में हैं। 15 विधानसभा सीटें खाली हैं।