बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक ऐसा गांव है जहां दशहरे की शाम को रावण की पूजा की जाती है. ग्रामीणों की मानें तो पिछले कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है. ग्रामीण आज भी इस परंपरा को निभा रहे हैं. गांव में रावण का मूर्ति बनी हुई है. यहां निर्मित मूर्ति में रावण कोर्ट पैंट पहने हुए हैं. हम बात कर रहे हैं ग्राम तार्री की.
गांव में सड़क के एक तरफ रावण की मूर्ति है तो दूसरी तरफ भगवान राम का मंदिर भी है. यहां लोग रावण की मूर्ति की सिर्फ दशहरा के दिन शाम को पूजा करते हैं. वहीं राम मंदिर में रोज पूजा-अर्चना की जाती है. देखने में तो जरूर अजीब लगता है, लेकिन बालोद जिले के गुरुर ब्लाक के ग्राम तार्री में पिछले कई सालों से रावण की मूर्ति की पूजा की जा रही है.
ग्रामीण बताते हैं कि उनके पूर्वजों के समय पहले मिट्टी का रावण बनाकर उसकी पूजा की जाती थी. बाद में फिर धीरे से सीमेंट की स्थाई प्रतिमा बनाई गई. ग्रामीणों का मानना है कि रावण सबसे ज्यादा ज्ञानी पंडित था, जो सभी कलाओं में निपुण था. जर्जर हो चुके मूर्ति का नवनिर्माण जल्द किया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि जब भी रावण की दूसरी मूर्ति बनेगी तो इसी तरह पेंट कोर्ट वाला मूर्ति का ही निर्माण कराया जाएगा.