दुर्ग। दुर्ग में एक पुलिसकर्मी ने शनिवार रात खुदकुशी कर ली। पुलिस लाइन स्थित अपने घर में उसने जहर खा लिया। मां ने रोते हुए बड़े अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा कि, वह अधिकारियों की प्रताड़ना से परेशान था। RI उसकी आमद नहीं ले रहे थे।
जानकारी के मुताबिक, कॉन्स्टेबल की पहचान अभिषेक राय (28) निवासी कातुलबोर्ड के रूप में हुई है। 4 दिन से वह ड्यूटी भी नहीं जा रहा था। पुलिस ने उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला भेजा है और जांच में जुटी है।
उसने कहा था, लेडिस के पास नहीं जाऊंगा
मां का आरोप है कि, मेरा बेटा कुछ दिन से डिप्रेशन में था। RI साहब उसकी आमद नहीं ले रहे थे, उसे रिचा के पास ड्यूटी करने कहा जा रहा था। बेटे ने कहा था कि मैं लेडिस के पास नहीं जाऊंगा। मेरी भिलाई-3 में पोस्टिंग हुई है वहीं काम करुंगा।
पिता बम डिफ्यूज के दौरान हुए थे शहीद
अभिषेक के पिता संजय राय भी छत्तीसगढ़ पुलिस में थे। 2012 में नारायणपुर में ड्यूटी के दौरान बम डिफ्यूज करते वक्त ब्लास्ट में उनकी जान चली गई थी। इसके बाद उनकी जगह अभिषेक को 2 साल पहले ड्राइवर के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिली थी।
अभिषेक की मां ने बताया कि उसका तबादला भिलाई तीन कर दिया गया था, लेकिन वह लाइन में ही पदस्थ रहना चाहता था। उसे गाड़ी चलाने में समस्या होती थी। इसके चलते मां ने एसपी दुर्ग और RI से फरियाद लगाई थी।
SP ऑफिस से बाहर निकाला गया
मां ने कहा कि, शहीद परिवार की होने के नाते मैं SP ऑफिस गई वहां फरियाद लगाई। मैंने कहा कि, डॉक्टर ने बेटे को गाड़ी चलाने से मना किया है उसे पुलिस लाइन में ड्यूटी करने दीजिए तो मुझे चली जाओ कहकर केबिन से बाहर निकाल दिया गया।
ड्यूटी में थी घोर लापरवाही
दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि सिपाही ड्यूटी को लेकर लापरवाह था। 25 सितंबर से ड्यूटी पर नहीं था। उसने छुट्टी के लिए कोई ऐप्लीकेशन नहीं दिया था। उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। ना ही ये जानकारी है कि उसे किसी अधिकारी ने उसे परेशान किया था।
पुलिस की कार्यप्रणाली में आमद मतलब क्या होता है?
जब कोई पुलिस कर्मचारी, सिपाही, जवान, दरोगा या निरीक्षक ट्रांसफर होकर एक जिले से दूसरे जिले में जाता है, तो सबसे पहले उसे उस नए जिले में अपने आने की सूचना पुलिस लाइन में देनी होती है। वो पुलिसकर्मी आर.आई. के दफ्तर में जाकर अपने आने की खबर देता है। वहां उसके आने की जानकारी दर्ज कर ली जाती है। इसी के बाद उस पुलिसकर्मी की तैनाती किसी थाने या अन्य सर्किल में होती है।