जिस बायजू पर निवेशकों ने आंख मूंदकर पैसे उड़ेले अब दिवालिया होने की कगार पर, जानें किसका कितना बकाया

नई दिल्ली। ऑनलाइन शिक्षा की नई परिभाषा गढ़ने वाली एडटेक कंपनी बायजू फिलहाल गंभीर संकट में है। एक समय था जब कंपनी के संस्थापक बायजू रविंद्रन देश के स्टार्टअप और ऑनलाइन एजुकेशन इकोसिस्टम के पोस्टर ब्वॉय थे। कंपनी पर निवेशक आंख मूंदकर पैसे उड़ेल रहे थे, पर अब कहानी कुछ और है। निवेशकों और लेनदारों के साथ कंपनी के विवादों का दौर अब थमने नाम ही नहीं ले रहा।

जनरल अटलांटिक जैसे बड़े वैश्विक निवेशकों से फंडिंग हासिल करने वाले स्टार्टअप बायजू का 2022 में मूल्यांकन 22 बिलियन डॉलर था। अब हालात बदल गए हैं। देनदारों से टकराव और नियामकीय अनुपालन में विफल रहने के कारण कंपनी दिवालिया होने की कगार पर है। संपत्ति फ्रीज कर दिए गए हैं। अदालत के निर्देश पर कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू हो गई है। अदालत ने पंकज श्रीवास्तव को संकटग्रस्त एडटेक कंपनी की दिवालिया कर्यवाही के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है। आईआरपी ने ऋणदाताओं, कर्मचारियों, विक्रेताओं और सरकार को अपने-अपने बकाये का दावा करने के लिए आमंत्रित किया है। दावे दाखिल भी होने लगे हैं। आइए जानते हैं अब तक किए गए दावों के अनुसार कंपनी पर किस लेनदार का कितना बकाया है?

अमेरिकी ग्लास ट्रस्ट ने किया है 11,432 करोड़ रुपये का दावा

दिवालियापन की कार्यवाही के बीच बायजू के टर्म लोन बी (टीएलबी) उधारदाताओं के एक संघ, अमेरिका के ग्लास ट्रस्ट ने 11,432 करोड़ रुपये ($ 1.36 बिलियन) के बकाये का दावा किया है। यह राशि कंपनी के लेनदारों की ओर से दायर कुल दावों का लगभग 88% है। अमेरिका स्थित लेनदारों के इस समूह ने नवंबर 2021 में कंपनी को उसके विदेशी परिचालन में निवेश लिए $1.2 अरब डॉलर उधार दिया था। इस बीच, बायजू की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी और कोचिंग चेन आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड (एईएसएल) ने भी 1,404 करोड़ रुपये ($ 67 मिलियन) का दावा दायर किया है।

BYJU’S Insolvency Proceedings: TLB Lenders Make Claim For INR 11,432 Cr Dues

बायजू – फोटो : X.com: @BYJUS 

1887 लेनदार कर चुके हैं 13027 करोड़ रुपये का दावा

भारतीय दिवाला व शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के दस्तावेजों में एईएसएल और ग्लास ट्रस्ट को संकटग्रस्त एडटेक फर्म बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड का “असुरक्षित वित्तीय लेनदार” बताया गया है। अब तक 1,887 लेनदारों की ओर से बायजू के खिलाफ 13,027 करोड़ रुपये से अधिक के दावे किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश की फिलहाल समीक्षा की जा रही है। आईबीबीआई के दस्तावेजों के अनुसार, फिनटेक प्रमुख इनक्रेड फाइनेंशियल सर्विसेज ने भी बायूज पर 20.34 करोड़ रुपये के बकाये का दावा किया है। उल्लेखनीय है कि आईआरपी ने बायजू के खिलाफ इनक्रेड की ओर से दायर पूरे दावे को स्वीकार कर लिया है।

अब बात बायजू के परिचालन लेनदारों की

आईबीबीआई दस्तावेजों के अनुसार, एडटेक स्टार्टअप के “ऑपरेशनल क्रेडिटर” (परिचालन लेनदारों) के रूप में 95 संस्थाओं के नाम सूचीबद्ध हैं। इन्होंने बायजू के खिलाफ 425.12 करोड़ रुपये के दावे दायर किए हैं। इनमें से, आईआरपी ने केवल एक कंपनी, आदित्य बिड़ला फाइनेंस के दावों को स्वीकार किया है। आदित्य बिड़ला फाइनेंस की वित्तीय सेवा शाखा ने एडटेक स्टार्टअप के खिलाफ लगभग 47.12 करोड़ रुपये के दावे दायर किए, जिनमें से लगभग 30 करोड़ रुपये के दावे आईआरपी श्रीवास्तव ने स्वीकार किए हैं।

चीनी मोबाइल निर्माता ओप्पो और वीवो का भी बायजू पर बकाया

कल्याणी टेकपार्क, जहां कभी बायजू का बेंगलुरु कार्यालय हुआ करता था, ने भी अपनी कई संस्थाओं के माध्यम से एडटेक फर्म से 190 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया मांगा है। इनमें विशेष रूप से, सर्फर टेक्नोलॉजीज का नाम है, जिसने जून 2024 में बायजू के साथ अपने दिवालियापन मामले का निपटारा कर लिया था। वह भी परिचालन लेनदारों की सूची में शामिल है और उसने 1.25 करोड़ रुपये कंपनी से मांगे हैं। इसके अतिरिक्त, चीनी स्मार्टफोन निर्माता ओप्पो और वीवो ने भी क्रमशः 16.64 करोड़ रुपये और 5.33 करोड़ रुपये के दावे आईआरपी के समक्ष दायर किए हैं।

केंद्र व राज्य सरकारों के 848 करोड़ बकाया, 1784 कर्मचारी मांग रहे 301 करोड़

इस बीच, केंद्र और कर्नाटक सरकार के कर अधिकारियों ने भी आईआरपी के समक्ष 848 करोड़ रुपये से अधिक के बकाये के दावे दायर किए हैं। इसके अलावा, कभी दुनिया में एडटेक इकोसिस्टम के पोस्टर चाइल्ड रहे बायजू के 1,784 कर्मचारियों ने भी 301 करोड़ रुपये के दावे किए हैं।

कोरोनाकाल के बाद अर्श से फर्श पर पहुंची कंपनी

2021 में कोरोना महामारी के चरम के दौरान निवेशकों से अरबों डॉलर जुटाने के बाद, फंडिंग विंटर की शुरुआत होते ही कंपनी की आर्थिक स्थिति ढलान पर चली गई। इस बीच, बेतहाशा विस्तार और निरर्थक अधिग्रहणों के कारण इसका घाटा बढ़ता गया, दूसरी ओर राजस्व में वृद्धि नहीं हो पाई। नतीजा यह हुआ कि कंपनी ने लागत में कटौती के लिए बड़े कदम उठाए। बायजू ने बड़े पैमाने पर छंटनी की, संचालन इकाइयों का पुनर्गठन किया और कई केंद्रों को बंद किया, लेकिन इन कदमों का कोई फायदा नहीं हुआ। वेतन में देरी, कानूनी और दिवालियेपन के मामलों की भरमार और निवेशकों के साथ सार्वजनिक गतिरोध ने मामले को और बदतर बना दिया।

गड़बड़ियों का हवाला देकर दो-दो लेखा परीक्षकों ने छोड़ी कंपनी

शिक्षा प्रौद्योगिकी स्टार्टअप बायजू के साथ जुड़े विवाद बढ़ते जा रहे हैं। अब ऑडिटर बीडीओ ग्लोबल ने कंपनी छोड़ दी है। ऑडिटर के अनुसार स्टार्टअप ने दिवालियापन कार्यवाही शुरू होने के बाद मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। बायजू ने शनिवार को यह जानकारी दी। बायजू फिलहाल कई चुनौतियों का सामना कर रहा है जिसमें दिवालियापन की कार्यवाही और अमेरिका स्थित ग्लास ट्रस्ट की ओर से किया गया 1 अरब डॉलर का दावा शामिल है। बायजू के साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब उसके ऑडिटर ने कंपनी का साथ छोड़ दिया। इस वर्ष की शुरुआत में बीडीओ ग्लोबल को ऑडिटर नियुक्त किया गया था, उससे पहले पूर्व ऑडिटर डेलोइट ने कंपनी की वित्तीय रिपोर्टिंग में कई गड़बड़ियों का हवाला देते हुए कंपनी छोड़ दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिवालियापन कार्यवाही पर लगी रोक हटाई

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के एक फैसले के खिलाफ अमेरिका स्थित लेनदार ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी की अपील को जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति दे दी। एनसीएलएटी ने एड-टेक फर्म बायजू के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान को मंजूरी दे दी थी।