नईदिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को पावर का बढ़ा दिया गया है. राष्ट्रपति ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को संसद से पारित किसी भी कानून के तहत दिल्ली सरकार पर लागू किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय का गठन करने की शक्तियां सौंपी हैं. गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मंगलवार (03 अगस्त) को नोटिफिकेशन जारी करके इसकी जानकारी दी.
एक राजपत्र अधिसूचना में, गृह मंत्रालय ने कहा, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के अनुसरण में, राष्ट्रपति एतद्द्वारा निर्देश देते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए और अगले आदेश तक, किसी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, के गठन के लिए या ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति के लिए उक्त अधिनियम की धारा 45डी के खंड (ए) के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग करेंगे.”
बढ़ेगी उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार की तकरार!
राष्ट्रपति के नए आदेश से उपराज्यपाल और राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के बीच नए सिरे से टकराव शुरू होने की संभावना है. पिछले साल राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को अपनी मंजूरी दे दी थी.
अरविंद केजरीवाल ने किया था विरोध
इसमें कहा गया था कि अधिकारियों के सभी तबादले और नियुक्तियां अब राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की ओर से की जाएंगी. इस निकाय की अध्यक्षता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल करेंगे और दिल्ली सरकार के दो वरिष्ठ नौकरशाह इसके सदस्य होंगे. प्राधिकरण को बहुमत से निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है और अंतिम निर्णय उपराज्यपाल के पास है.
अधिनियम का विरोध करते हुए केजरीवाल ने केंद्र पर दिल्ली के निवासियों को “बाधित” करने और उनके वोट छीनने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.