पैरालंपिक 2024: ऊंची कूद में शरद, भाला फेंक में अजीत की चांदी; भारत ने 20 पदक जीत टोक्यो को पीछे छोड़ा

Sharad Kumar won silver and Mariyappan Thangavelu won bronze in high jump; India number of medals reached 20

पेरिस। पेरिस पैरालंपिक 2024 खेलों में भारत का शानदार प्रदर्शन जारी है। मंगलवार को भारतीय एथलीट्स ने कमाल करते हुए छह पदक जीते। इनमें दो रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं। जेवलिन थ्रो की F46 श्रेणी में अजीत सिंह तो हाई जंपर शरद कुमार ने  ऊंची कूद की टी63 श्रेणी में मंगलवार को रजत पदक जीता। इसी के साथ इस पैरालंपिक में भारत के पदकों की संख्या अब तक 20 पहुंच चुकी है। पदकों की यह संख्या अब तक की सर्वश्रेष्ठ है। अपने ट्रैक एवं फील्ड एथलीटों के शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत ने टोक्यो पैरालंपिक के19 पदकों के अपने पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया है। 

गौरतलब है कि भारत इस बार 25 पार के लक्ष्य को लेकर इन खेलों में उतरा है। ऐसे में भारतीय एथलीट्स इस लक्ष्य को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अवनि लेखरा से शुरू हुई कहानी जारी है। पेरिस पैरालंपिक में 84 पैरा एथलीट्स भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन खेलों का आयोजन आठ सितंबर तक होना है। भारत 12 डिसिप्लिन में प्रतिस्पर्धा कर रहा है, जो टोक्यो से तीन ज्यादा हैं। 

ऊंची कूद टी63 वर्ग स्पर्धा में भारत ने जीता रजत और कांस्य
पेरिस में हो रहे पैरालंपिक 2024 खेलों में पुरुषों की ऊंची कूद टी 63 वर्ग स्पर्धा में मंगलवार को भारतीय पैरा एथलीट्स ने रजत और कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। देर रात हुए फाइनल मुकाबले में हाई जंपर शरद कुमार ने 1.88 मीटर की दूरी तय कर सिल्वर मेडल जीता। मरियप्पन थंगावेलु ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हुए 1.85 मीटर की दूरी तय की। उन्हें कांस्य पद दिया गया। बता दें कि टोक्यो पैरालिंपिक में मरियप्पन थंगावेलु ने स्वर्ण पदक जीता था। वहीं, विश्व रिकॉर्ड धारक यूएसए के फ्रेच एज्रा ने स्वर्ण पदक जीता।

पुरुष भाला फेंक एफ 46 वर्ग स्पर्धा में में भी आए पदक
भारत के स्टार भाला फेंक पैरा एथलीट अजीत सिंह ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक में पुरुष भाला फेंक एफ 46 वर्ग स्पर्धा में रजत पदक जीता। अजीत सिंह ने भाला फेंक F46 फाइनल में अजीत सिंह ने 65.62 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। वहीं, इसी स्पर्धा में सुंदर सिंह गुर्जर ने भी सीजन के अपने सर्वश्रेष्ठ 64.96 थ्रो के साथ कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। 

साथ ही तेलंगाना की दीप्ति जीवनजी ने 400 मीटर दौड़ में 55.82 सेकंड के साथ कांस्य जीता।

पांच साल की उम्र में हादसे में मरियप्पन ने गंवाया था अपना पैर
मरियप्पन का जन्म तमिलनाडु के पेरियावदमगट्टी गांव में हुआ, जो सेलम से करीब 50 किलोमीटर दूर है।  पांच साल की उम्र में मरियप्पन एक हादसे का शिकार हो गए थे, जिसके चलते उन्हें अपना पैर गंवाना पड़ा। बहन को बचाते समय एक ट्रक उनके पैर के ऊपर से गुजर गया। मरियप्पन के पिता कई साल पहले परिवार को छोड़ कर चले गए थे। इसके बाद वो कभी लौटकर नहीं आए और मरियप्पन के परिवार के लिए दिक्कतें और बढ़ गईं। उनकी मां साइकिल से सब्जी बेचती थीं।

मरियप्पन को शुरुआत में वॉलीबॉल में दिलचस्पी थी। अपनी हालत के बावजूद वो स्कूल में वॉलीबॉल खेलते थे। मगर बाद में उनकी टीचर ने उन्हें हाई-जंप के लिए प्रेरित किया। मरियप्पन ने 14 साल की उम्र में सामान्य खिलाड़ियों को हराकर सिल्वर मेडल जीता। 2015 में मरियप्पन वर्ल्ड नंबर वन बने।