नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले का संज्ञान लिया है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ करेगी।
पूरा विभाग मेरी बेटी की हत्या के लिए जिम्मेदार: मृतक महिला डॉक्टर की मां
मृतक महिला डॉक्टर की मां ने कहा, पहले हमें अस्पताल से फोन आया कि आपकी बेटी बीमार है, फिर फोन कट गया। जब मैंने फिर से फोन करके पूछा कि क्या हुआ तो उन्होंने हमें अस्पताल आने के लिए कहा। जब हमने फिर से कॉल किया तो कॉल करने वाले ने खुद को सहायक अधीक्षक बताते हुए कहा कि आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। वह गुरुवार को ड्यूटी पर गई थी। हमें शुक्रवार की सुबह 10.53 बजे यह कॉल मिला। जब हम वहां पहुंचे, हमें उसे देखने की अनुमति नहीं दी गई। हमें तीन बजे देखने की इजाजत दी गई। उसकी पैंट खुली हुई थी। उसके शरीर पर केवल एक कपड़े का टुकड़ा था। उसका हाथ टूटा हुआ था। आंखों और मुंह से खून बह रहा था। उसे देखकर बस ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने उसकी हत्या कर दी है। मैंने उन्हें बताया कि यह आत्महत्या नहीं, हत्या है। हमने इतनी मेहनत की कि हमारी बेटी डॉक्टर बनी। लेकिन उसकी हत्या कर दी गई।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर उन्होंने कहा, उन्होंने (मुख्यमंत्री) कहा था कि अपराधी को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। मुझे लगता है कि इस घटना में और भी लोग शामिल थे। मैं मानती हूं कि पूरा विभाग इस घटना के लिए जिम्मेदार है। पुलिस ने बिल्कुल भी अच्छा काम नहीं किया। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री विरोध को रोकने की कोशिश कर रही हैं। आज उन्होंने यहां धारा 144 लागू की है ताकि लोग विरोध न कर सकें।
पुलिस आयुक्त को लेकर उन्होंने कहा, उन्होंने हमारी बिल्कुल भी मदद नहीं की। वे बस मामले को जल्द से जल्द दबाने की कोशिश कर रहे थे। उनका प्रयास था कि पोस्टमार्टम जल्दी करवाया जाए और शव को हटा दिया जाए।
हम मुख्यमंत्री से संतुष्ट नहीं: मृतक महिला डॉक्टर के पिता
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दुष्कर्म-हत्या मामले में मृत महिला डॉक्टर के पिता ने कहा, “जांच चल रही है, उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। हमें उम्मीद है कि हमें नतीजे मिलेंगे। विभाग या कॉलेज से किसी ने भी हमारा सहयोग नहीं किया। पूरा विभाग इसमें शामिल है। श्मशान घाट पर तीन शव थे, लेकिन हमारी बेटी का शव पहले जला दिया गया। मुख्यमंत्री न्याय दिलाने की बात कर रही हैं, लेकिन फिर न्याय मांगने वाले आम लोगों को जेल में डालने की कोशिश की जा रही है। हम मुख्यमंत्री से संतुष्ट नहीं हैं। हमने कोई भी मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है।”