ASI ने हाईकोर्ट में सौंपी 2000 पेज की रिपोर्ट, दावा- 94 टूटी प्रतिमाएं मिलना भोजशाला के मंदिर होने का सबूत

Indore: 2 thousand pages survey report in Dhar Bhojshala case presented in High Court, now hearing will be hel

इंदौर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे पूरा कर अपनी दो हजार पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच को सौंप दी है। अब 22 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि 23 साल पहले लागू की गई व्यवस्था को क्या हाईकोर्ट इस रिपोर्ट के आधार पर बदल देगा? इधर हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करता है कि यहां मंदिर था।  

धार जिले के इस 11वीं सदी में बने परिसर का विवाद नया नहीं है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है। मुस्लिम पक्ष कमाल मौला मस्जिद कहता है। हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को आदेश दिया था कि वह छह हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। हालांकि, रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई ने और वक्त मांगा। तीन बार समय बढ़ाया गया। चार जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिए थे कि 15 जुलाई तक अपनी पूरी रिपोर्ट सौंप दें।

हिंदू पक्ष ने कहा- हमारा पक्ष मजबूत, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस के वकील एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में एएसआई रिपोर्ट महत्वपूर्ण है। एएसआई रिपोर्ट ने हमारे केस को मजबूत किया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के सामने हमने कहा था कि यह परिसर एक हिंदू मंदिर का है। इसका इस्तेमाल मस्जिद की तरह हो रहा है। 2003 में एएसआई ने जो आदेश पारित किया था, वह पूरी तरह गलत है। देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है। हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने एएसआई को साइंटिफिक स्टडी के निर्देश दिए थे। दो हजार पेज की रिपोर्ट में हमारा पक्ष मजबूत हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की कार्यवाही पर स्टे दे रखा है। इस वजह से हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। वकील हरि शंकर जैन कहते हैं कि एएसआई की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि वहां एक हिंदू मंदिर हुआ करता था। वहां केवल हिंदू पूजा होनी चाहिए। वहां से 94 से ज्यादा टूटी हुई मूर्तियां बरामद की गईं, जो कोई भी उन चीजों को देखता है वह आसानी से कह सकता है कि वहां एक मंदिर हुआ करता था।

यह है आदेश, जिस पर है विवाद
एएसआई ने 22 मार्च को इस विवादित परिसर का सर्वे शुरू किया था। करीब तीन महीने यह सर्वे चला। दरअसल, पूरा विवाद एजेंसी के सात अप्रैल 2003 के आदेश को लेकर है। हिंदुओं और मुस्लिमों में विवाद बढ़ने पर एएसआई ने आदेश जारी कर परिसर में प्रवेश को सीमित किया था। आदेश के बाद 21 साल से हिंदू सिर्फ मंगलवार को भोजशाला में पूजा-अर्चना कर सकते हैं। मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट भी जाएगा मामला
भोजशाला के मसले पर एक पक्ष पहले ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया था कि साइंटिफिक स्टडी करने के दौरान भोजशाला के भौतिक ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट को यह सख्त निर्देश दिए थे कि वह फिलहाल इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकेगा। इसी वजह से हिंदू पक्ष अब एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहा है।

सार्वजनिक नहीं होगी रिपोर्ट
एएसआई की रिपोर्ट की प्रतियां दोनों ही पक्षों को सौंपी जाएगी। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न करें। एएसआई ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस सहित अन्य तकनीक इस सर्वे में अपनाई है। भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की गई है। दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष, धार्मिक चिह्न मिले हैं। अफसरों ने सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई है। सर्वे रिपोर्ट में खुदाई में मिले अवशेषों के फोटो भी प्रस्तुत किए गए।

वर्ष 1902 में भी हुआ था सर्वे
धार भोजशाला का इतिहास वर्षों पुराना है। अंग्रेजों के शासनकाल में एएसआई ने धार भोजशाला का सर्वे किया था। तब की रिपोर्ट में मंदिर के अलावा परिसर के एक हिस्से में मस्जिद का उल्लेख भी किया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नए सिरे से स्टडी के निर्देश दिए थे। यह सर्वे रिपोर्ट हाईकोर्ट में चल रही याचिका के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।